Wednesday, 31 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (54-57)



फेंग शुई के अनुसार प्राकृतिक क्वार्ट्ज क्रिस्टल ऊर्जा के जनक माने जाते हैं, क्योंकि क्रिस्टल में बने विभिन्न कोण के माध्यम से पूरे क्षेत्र में सौभाग्यशाली एवं लाभकारी 'ची' ऊर्जा प्रसारित होती हैं। सौभाग्यशाली क्रिस्टल को कक्षों के दक्षिण-पश्चिम कोण में लटकाएं। इससे पूरे परिवार के सदस्यों के मध्य अच्छे सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं। यही क्रिस्टल मनुष्य के जीवन में सहयोगी लोगों का संपर्क भी बढ़ाते हैं तथा धन-संपत्ति में वृद्धिकारक एवं सौभाग्यशाली होते हैं। क्रिस्टल के बने पिरामिड शुद्धता एवं एकाग्रता बढ़ाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को सोखते हैं। 

55 . सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए मंडेरिन बत्तखें :


फेंग शुई के अनुसार विशेष किस्म की लकड़ी से बनी मंडेरिन बत्तखों के नर एवं मादा जोड़े को भवन के मुख्य शयन कक्ष में नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में रखना चाहिए। इस जोड़े को आसपास रखे और भूलकर भी आमने-सामने न रखे। शयन कक्ष में मंडेरिन नर-मादा के जोड़े को इस प्रकार से साथ रखें, जिससे वह बिस्तर पर सोने के समय स्वंय को दिखते रहे तथा शयन कक्ष में प्रवेश करते समय एवं निकलते समय भी आसानी से दिखें। इससे पति पत्नी के मध्य परस्पर सम्बन्ध मजबूत होते हैं जिससे दोनों के दाम्पत्य जीवन में अधिक सामंजस्य स्थापित होता है। 

 56 . अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति :


फेंग शुई के अनुसार अच्छे जीवन साथी की तलाश करने वाले अविवाहित स्त्री-पुरुषों को अपने शयन कक्ष में बत्तख के जोड़े या मंडेरिन बत्तख के नर-मादा जोड़े या हंसों के नर-मादा जोड़े के साथ-साथ रोज क्वार्ट्ज के बने अंगूर रखने चाहिए। ऐसा करने से उनका शीघ्र विवाह हो जाता है। भूलकर भी अविवाहित स्त्री या पुरुष को अपने शयन कक्ष में एक पक्षी नहीं रखना चाहिए। हमेशा नर-मादा का जोड़ा ही रखना भाग्यवर्द्धक माना जाता है। 

57 . क्रिस्टल बॉल से वास्तु दोष निवारण :



वास्तु दोष के निवारण के लिए क्रिस्टल बॉल को अधिक उपयोगी माना गया है। यदि किसी भवन के रसोई कक्ष एवं स्नान कक्ष एक क्रम में हो अथवा एक दूसरे के आमने-सामने हों तब इस प्रकार के वास्तु दोष के निवारण के लिए क्रिस्टल बॉल का उपयोग करना चाहिए। इसी प्रकार किसी भवन का मुख्य द्वार रसोई कक्ष के आमने-सामने हो अथवा एक-दूसरे  सामने हो तो ऐसे वास्तु दोष में क्रिस्टल बॉल के उपयोग से भवन दोष को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। 

Monday, 29 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (51-53)

51 . बीम एवं खम्भों पर टिकी हुई छतें हानिकारक :


आजकल के युग में भूमि के कमी के कारण बड़े-बड़े शहरों में बीम (शहतीर) एवं खम्भों (स्तम्भों) पर टिकी हुई भवनों की छतें उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों के लिए अनेक प्रकार को समस्याएं खड़ी कर देती हैं जिसके कारण उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों को आधे सर में दर्द, तनाव, पारिवारिक संबंधों में कड़वाहट एवं दरार आदि अनेक प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे बीम के ठीक नीचे पलंग बिछाकर सोने से सोने वाले पति-पत्नी (दम्पति) शारीरिक रूप से भी एक दूसरे से दूर होते चले जाते है, अर्थात दाम्पत्य कलह उत्पन्न होने से कभी-कभी तलाक तक की नौबत आ जाती है।  

52 . बीम की अशुभ ऊर्जा से बचना जरुरी :


भवन में बीम की अशुभ ऊर्जा के हानिकारक प्रभाव को दूर करने के लिए कक्षों में पवन घंटी लगानी चाहिए। कभी-कभी बीम के नीचे सोने वाले व्यक्ति प्राय: ऐसे भवन में रहते है जो बहुमंजिला होता है तथा जिसमे भवन के कक्षों की छत बीम पर ही टिकी होती है, तब ऐसी स्थिति में सबसे अधिक अशुभ ऊर्जा उत्पन्न होती है। वही अशुभ ऊर्जा उन भवनों में रहने वाले व्यक्तियों पर भयानक व महाअशुभ प्रभाव डालती है। इसके अलावा कुछ  व्यक्ति अपने भवन के कक्षों में सजावटी बीम भी मूर्खता के कारण लगवाते है, और वे भी अत्यधिक हानिकारक होते हैं। अत: ऐसे भवनों के कक्षों में बांस की बांसुरी या बांस की एक छोटी सी तनी लकड़ी टांगकर अशुभ (नकारात्मक) ऊर्जा के दुष्प्रभाव को काम कर सकते है। मेरे अनुभवानुसार बीम के दोनो तरफ ऊर्जायुक्त पिरामिड बीम के समीप लगाएं तथा छत पर प्लाईवुड (लकड़ी) लगवाकर बीम को ढ़क देने से अशुभ ऊर्जा के प्रभाव को भवन में रोका जा सकता है। 

53 . भवन में दर्पण की उचित स्थिति :


फेंग शुई के अनुसार यदि दर्पण मुख्य द्वार को सीधे-सीधे परावर्तित करता हो तो उस स्थान पर भाग्यशाली 'ची' ऊर्जा शक्ति नहीं ठहर सकती, जिससे उस घर में अभाव, दुःख, कष्ट, क्लेश अदि बने रहते हैं। मेरे अनुभव के अनुसार ऐसे घरों में रहने वाले व्यक्ति प्राय: घर से बाहर रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने घर में कम ही ठहर पाते हैं। ऐसे भवन में रहने से पति-पत्नी में दरार उत्पन्न हो सकती है। यदि दर्पण मुख्य द्वार को पूरी तरह परिवर्तित न कर रहा हो अर्थात आंशिक रूप से नजर आ रहा हो तब उस भवन में रहने वालों की संताने आशा से पहले ही घर से अलग हो कर रहने लगती है। अत: दर्पण के पास पेड़-पौधों के गमले रख देने से भवन में पैदा होने वाली 'ची' ऊर्जा दोगुनी होकर नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देती है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। अत: दर्पण हमेशा उत्तर पूर्व या ईशान कोण के दीवार पर ही पर्याप्त प्रकाश में लगाएं। दर्पण भूलकर भी अंधेरे में नहीं लगाना चाहिए।  
       





    

Friday, 26 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (48-50)

48 . झाड़-फानूस (Chandelier Lights) लाभदायक :


फेंग शुई के अनुसार पारिवारिक रिश्तों को संवारने में झाड़-फानूस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये झाड़-फानूस (chandelier lights) देखने में जितने सुन्दर लगते है, उतने ही शुभ फलदायक होते हैं।  इन्हे भवनवास के प्रत्येक कमरे में नैऋत्य कोण में लगाना चाहिए। वैसे तो भवन के प्रवेश द्वार के ऊपर लगा झाड़-फानूस सकारात्मक एवं भाग्यशाली 'ची' ऊर्जा को भवन की तरफ आकर्षित करता है, जबकि भोजनालय में लगा झाड़-फानूस भोजन में सात्विक वृद्धि करता है। झाड़-फानूस भवन के प्रत्येक कक्ष ने दक्षिण पश्चिम कोण में लगाना चाहिए, क्योंकि नैऋत्य कोण में लगे झाड़-फानूस पृथ्वी तत्व के मेल सा भवन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भाग्यशाली ऊर्जा शक्ति से युक्त कर देते हैं जिससे परिवार के मध्य मधुर सम्बन्ध बनते हैं। यदि किसी परिवार में पति-पत्नी के संबंधों में कड़वाहट हो अथवा भाई-बहनो में प्रतिद्वन्दिता हो, उन्हें अपने भवन के दक्षिण-पश्चिम कोण में झाड़-फानूस अवश्य लगाने चाहिए। ऐसा करने से भाई-बहनो में प्रतिद्वन्दिता समाप्त होती है तथा पति-पत्नी के सम्बन्ध मधुर बनते है। 

49 . इंटरव्यू में पास होने के लिए :


फेंग शुई के नियम व्यक्ति के कैरियर में काफी सहायक होते है। इन नियमों के अनुसार यदि व्यक्ति साक्षात्कार अथवा इंटरव्यू के लिए जा रहा हो तब वह ऐसे स्थान पर न बैठे जिस जगह पर मेज का त्रिकोण किनारा साक्षात्कारी व्यक्ति की तरफ हो अन्यथा वह उस पद को प्राप्त नहीं कर पाइएगा जिसका वे अधिकारी है अथवा जिस पद की वह अपेक्षा करता है, इसलिए चौकोर मेज के सम्मुख ऐसे बैठना चाहिए की उस मेज का बीच का हिस्सा साक्षात्कारी व्यक्ति की ओर हो, वैसे भवन अथवा ऑफिस या कहीं भी मेज के कोने की तरफ नहीं बैठना चाहिए। यदि चौकोर मेज के चारों तरफ पांच व्यक्तियों को बैठना हो तब किनारों से हटकर बैठना चाहिए, क्योंकि त्रिकोणात्मक किनारे के सामने बैठने से अशुभ नकारात्मक ऊर्जा के कारण व्यक्ति उस दिन कार्य के प्रति उदासीन व तनावग्रस्त हो जाता है। मेज के सामने इस प्रकार से बैठना चाहिए कि वह स्थान भाग्यशाली दिशा हो, अत: भाग्यशाली दिशा जानने के लिए एक घडी के आकार का दिक्सूचक हाथ में बांधें, जिससे भाग्य हमेशा साथ देगा और अपेक्षा के अनुरूप व्यक्ति को सबकुछ प्राप्त हो जाएगा। दरवाजे की तरफ पीठ करके कभी न बैठें और न ही खिड़की की ओर पीठ करके बैठें। बैठते समय पीठ के पीछे ठोस दीवार हो तथा ऐसी सीट पर भी भूलकर न बैठें कि दोनों पैर सीधे दरवाजे की तरफ तने हुए हों, क्योंकि ऐसी स्थिति बहुत अशुभ होती है। 

50 . विभिन्न रंगो (Colours) का प्रभाव :



फेंग शुई के अनुसार भवन में फैले विभिन्न प्रकार के रंग उस भवन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करते है। यदि भवन का प्रत्येक दिशा एवं कोना फेंग शुई के अनुसार रंग का हो तब उसका अपेक्षित अनुकूल लाभ उस व्यक्ति को प्राप्त होता है, परन्तु रंगो का अव्यवस्थित ढंग से भवन में प्रयोग करने से उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मेरे अनुभव के अनुसार रंगों के गलत प्रयोग से तनाव, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, उदासीनता, अवसाद एवं मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो जाती है, इसलिए रंगो का प्रयोग में अत्यधिक सावधानो बरतनी चाहिए। वैसे तो ये रंग दीवार पर पोतने आवश्यक नहीं है, क्योंकि इन रंगो के परदे, पोस्टर, वाल पेपर आदि भी उतने ही प्रभावी होते है, जितना इन रंगो का प्रभाव होता है। 

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (44-47)

44 . झाड़ू-पोंछा व अन्य सफाई के साधन :




फेंग शुई के नियमानुसार झाड़ू-पोंछा व अन्य सफाई के साधन दिन के समय इस्तेमाल करने के बाद छिपाकर रख देने चाहिए। दिन के समय में झाड़ू-पोंछा आदि दिखने से उस भवन की आय धीरे-धीरे कम होती जाती है। कुछ समय ऐसे भवन में रहने से दैनिक खर्चों के अधिक होने से परेशानियां बढ़ जाती है। इसलिए दिन के समय झाड़ू आदि को छिपाकर रखना चाहिए। मेरे अनुभव के अनुसार रात्रि के समय चोरों से भवन की रक्षा के लिए भवन के गेट के बाहर झाड़ू को उल्टा करके रख देना चाहिए। इसे उल्टा करके भवन के मुख्य द्वार के दाईं ओर बाहर रखें। इससे उस भवन की चोरों एवं अनचाहे लोगों से रक्षा होती है। झाड़ू को केवल रात्रि में ही बाहर उल्टा रखें। परन्तु दिन के समय उसे उठाकर कहीं छिपा दें।

45 . लाल-पिले रंग के बल्ब :



फेंग शुई के नियमानुसार भवन के दक्षिण-पश्चिम कोण में लाल-पीले रंग के बल्बों की झालर लगाने से भवन के कोने-कोने में 'यांग' ऊर्जा का प्रवाह सुचारु रूप से होने लगता है। लाल रंग अग्नि तत्व का प्रतीक है जिससे जीवनदायिनी पृथ्वी तत्व की उत्पत्ति होती है। पीला रंग स्वयं पृथ्वी का रंग कहा गया है। लाल लाइटों को दक्षिण दिशा या नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में ही लगाना चाहिए तथा भूलकर भी लाल लाइटों को पश्चिम अथवा वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में नहीं लगाना चाहिए। भवन के प्रत्येक नैऋत्य कोण में लाल लाइटों की अधिकता न करें, अन्यथा अत्यधिक 'यांग' ऊर्जा शक्ति भी अशांति का कारण बन सकती है, इसलिए लाल बल्बों की एक झालर, शेड अपने आवासीय कक्ष में और एक लाल लैंटर्न अपने शयन कक्ष में लगानी चाहिए, इसलिए सामाजिक जीवन में क्रियाशील बने रहने के साथ रोमांस भी जुड़ जाये तो इसके लिए भवन के नैऋत्य कोण में लाल एवं पीले बल्बों की झालर लगाए इससे ख़ुशी दो गुनी हो जाती है।

46 . सामंजस्यता में वृद्धि के लिए :



यदि किसी व्यक्ति का काफी समय से विवाह नहीं हो रहा हो तथा काफी खोजबीन करने के बावजूद भी उसको सही जीवन साथी नहीं मिल रहा हो तब उस व्यक्ति को अपने आवासीय भवन में 'यिन' एवं 'यांग' उर्जा का संतुलन वस्तुओं के जोड़े (युगल) के माध्यम से अवश्य करना चाहिए अर्थात भवन के कक्षों में एक फोटो न रखें, इससे अकेलापन बढ़ता है। दो बत्तख, दो चिड़िया, दो मछलियां, दो हंसों का जोड़ा या एक ड्रैगन के साथ फीनिक्स आदि रखने से सामंजस्यता बढ़ती है। शयन कक्ष में एक ड्रैगन एवं एक फीनिक्स मिलकर सुख-शांति प्रदान करते हैं तथा अकेलापन दूर कर शीघ्र ही अपेक्षित जीवन साथी को मिलवाते हैं। भवन में 'यिन' एवं 'यांग' के प्रतिक चिन्ह स्त्री एवं पुरुष के प्रतिक चिन्ह होकर भवन के ऊर्जा चक्र में संतुलन बनाए रखते हैं।

47 . शयन कक्ष की उचित व्यवस्था :


नव-विवाहित युवा पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन का प्रारंभ शयन कक्ष से ही होता है। अत: फेंग शुई के नियमानुसार शयन कक्ष इस प्रकार से व्यवस्थित होने चाहिए जिससे उसमे नकारात्मक अशुभ ऊर्जा आने भी न पाए। शयन कक्ष में फूल, पौधे आदि भूलकर भी ने रखें। फल रख सकते हैं। विशेष रूप से अनार का फल, क्योंकि अनार रखना अच्छे भाग्य का प्रतीक होता है। शयन कक्ष में लाल जीरो वाट का बल्ब जलाएं, क्योंकि यह प्रेम की ज्वाला को उत्प्रेरित करता है और संतानोत्पत्ति में सहायक होता है। शयन कक्ष में डबल हैप्पीनेस सिम्बल के डिजाइन वाला फर्नीचर शुभ फलदायक होता है। शयन कक्ष में मछलीघर, जलकुंड आदि के माध्यम से जल संग्रह न करें, इससे पति-पत्नी के मध्य अविश्वास पैदा होता है और उन्हें ठीक ढंग से भरपूर निद्रा नहीं आ पाती। शयन कक्ष में बच्चों व पके हुए फलों के तस्वीरें लगानी चाहिए। झील, नदी एवं तालाब आदि जल संग्रह चित्र भूलकर भी न लगाएं। वैवाहिक जीवन के आरम्भिक चार-पांच वर्ष तक शयन कक्ष में लाल-गुलाबी रंगों की अधिकता रखें। इससे 'यांग' ऊर्जा का प्रवाह सुचारु रूप से रहेगा। शयन कक्ष में नीले रंग की चादरें न बिछाकर सफेद रंग की चादर बिछाएं। इससे पति-पत्नी में दाम्पत्य प्रेम बना रहता है।      

    

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (41-43)

41 . मछली के जोड़े का चमत्कारी लॉकेट :



फेंग शुई के अनुसार मछली को शुभत्व का प्रतिक माना गया है। यही चमत्कारी प्रतीक आवास गृह में धन-संपत्ति, सुख-शांति एवं पारिवारिक सामंजस्य स्थापित करता है, इसलिए मछली के जोड़ों की माला, पेंडल की भांति लटका कर पहनने से दुर्घटनाओं, महामारी एवं प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है, इसलिए घनवान व्यक्ति द्वारा स्वर्ण की मछलियां बनवाकर गले में पहनने से धनवृद्धि होती है। मछली के जोड़े को मंत्रो से अभिमंत्रित करके यंत्र की तरह धारण करने से ऐसे व्यक्ति की दुरात्माओं के अशुभ प्रभाव से रक्षा होती है। नव विवाहित पति-पत्नी अपने शयन कक्ष के नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में मछली का युगल जोड़ा रखे तो उनमे आपस में प्रेम बढ़ता है तथा वे शारीरिक व मानसिक रूप में दोनों ही प्रकार से संतुष्ट रहते हैं।

42 . शयन कक्षों के लिए अशुभ चित्र :


फेंग शुई के नियमानुसार शयन कक्ष में भूलकर भी मछली घर, जलकुंड, झरनों, नदियों, तालाबों आदि का पोस्टर एवं पेंटिंग आदि नहीं लगानी चाहिए अन्यथा इन सब चीजों को शयन कक्ष में लगाने से धन हानि, बिमारियां एवं विश्वासघात में वृद्धि होती है। पति-पत्नी को भी इन्ही सब वस्तुओं के चित्र अपने शयन कक्ष में नहीं लगाने चाहिए। इससे उनके वैवाहिक जीवन अर्थात दाम्पत्य जीवन में कलह होती है। क्योंकि ये चित्र उनके वैवाहिक संबंधों में कड़वाहट का कार्य करते है तथा संबंधों में ऐसी दरार उत्पन्न करते है कि वह फिर कभी नहीं भरती। जल तत्व की वस्तुएं शयन कक्ष में रखने से उस भवन में रहने वालों की धन हानि होती है। वैसे तो पति-पत्नी में आपस में प्रेम होते हुए भी शयन कक्ष में जल तत्व की वस्तुएं रखने से विश्वासघात की अधिक भावना पनपती है और उनमे प्रेम तो मात्र बाहरी रूप में होता है। शयन कक्ष में मात्र पीने हेतु थोड़ा पानी ढककर रखना चाहिए। 

43. पुत्र एवं पुत्रियों के शयन कक्ष :

फेंगशुई के अनुसार यदि परिवार में एक पुत्र एवं एक पुत्री हो तो पुत्र का शयन  कक्ष पूर्वी दिशा में एवं पुत्री का शयन कक्ष पश्चिम दिशा में होने से भाई-बहनों के साथ-साथ पूरे परिवार का भाग्य सकारात्मक शुभ 'ची' ऊर्जा से परिपूर्ण रहता है।
फेंग शुई के अनुसार दो पुत्रियां होने पर पड़ी पुत्री का शयन कक्ष आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में रखे तथा छोटी पुत्री का शयन कक्ष पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। 

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (38-40)

38 . ऑफिस में  बैठने क़ी सही स्थिति :



फेंग शुई के नियम व्यक्ति को सफलता, समृद्धि एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अत: ऑफिस के  केबिन में इस तरह कभी नहीं बैठना चाहिए कि केबिन के दरवाजे के पीछे खिड़की, रोशनदान आदि हो क्योंकि फेंग शुई के अनुसार इस प्रकार से बैठने से प्राय: छल, कपट एवं विश्वासघात होने का भय रहता है, इसलिए पीठ को सदैव ठोस दीवार की ओर करके ही बैठना चाहिए, जिससे दरवाजा सम्मुख हो। हो सके तो पीछे दीवार की तरफ कछुए की पीठ जैसा ढलानयुक्त पर्वत का चित्र, पोस्टर या पेंटिंग लगा दें, पर्वत का आकर नुकीला नहीं होना चाहिए। भूलकर भी पर्वत की तरफ मुख करके नहीं बैठना चाहिए अन्यथा सब कुछ नष्ट हो सकता है। कार्यालय बहुमंजिले भवन के सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर हो तो जिस ऑफिस कक्ष में बैठना हो उसके पीछे ठोस दीवार अवश्य हो। यदि ऑफिस कक्ष में बैठते समय पीठ के पीछे खिड़की हो तो वह अशुभ फल देगी। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के व्यवसाय एवं कैरियर में उन्नति नहीं हो पायेगी, क्योंकि उसे अपने कैरियर में ठोसाधार प्राप्त होने के अवसर बहुत जी काम प्राप्त होंगे। 

39 . चीनी सिक्कों से बिक्री में वृद्धि :


कभी कभी व्यक्ति के जीवन में बहुत-सी छोटी-छोटी बातें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिनको अपनाकर  व्यक्ति सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ता जाता है। महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है। बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में सफल बनाने के लिए उनकी अध्ययन मेज के ईशान (उत्तर-पूर्व) कोण में पिरामिड या क्रिस्टल का ग्लोब अवश्य रखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति विदेश में रोजगार, व्यवसाय आदि पाने का इच्छुक हो तो उसे अपने भवन के उत्तर पश्चिम कोण में ग्लोब रखकर दिन में कम-से-कम तीन-चार बार अवश्य घड़ी के अनुसार घुमाना चाहिए। तीन प्राचीन चीनी सिक्कों को लाल रिब्बन में बांधकर विक्रय फाइल, बिलबुक अथवा ऑर्डर फार्म में बांधने या चिपका देने से दुकान, डिपार्टमेंटल स्टोर आदि की बिक्री में शीघ्र वृद्धि होती है।

40 . पारिवारिक सदस्यों के फोटो का उचित स्थान :



पारिवारिक सदस्यों के फोटो भूलकर भी शौचालय के सामने के मुख्य द्वार के सामने, सीढ़ियों के सामने अथवा बेसमेंट (तहखाने) में कभी नहीं लगाने चाहिए। पूरे परिवार का एक बड़ा चित्र आवासीय गृह की बैठक (ड्राइंग कक्ष) की वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोणीय दीवार पर लगाने से परिवार के मध्य एकता एवं सहयोग की भावना में वृद्धि होती है। तीन व्यक्ति की फोटो एक साथ लेने पर उनके मध्य मतभेद उत्पन्न हो जाते है तथा उनकी मित्रता नष्ट हो जाती है। अत: भूलकर भी तीन व्यक्तियों की फोटो एक साथ नहीं लेनी चाहिए। हालाँकि एक ही परिवार के तीन सदस्यों की फोटो एक साथ लेना शुभ माना जाता है, यदि ऐसी फोटो त्रिगुणात्मक खिंची हो, अर्थात उसमे  सदस्य बैठे हुए हो और परिवार का प्रमुख व्यक्ति त्रिकोण के शीर्ष के रूप में बिच में खड़ा हो।

फेंग शुई के अनुसार भवन के मध्य भाग में संगमरमर या ग्रेनाइट का बना फर्श गृहस्वामी को दिवालिया तक बना सकता है, क्योंकि यह बेसमेंट, कुंए या अंडरग्राउंड की काल्पनिक गहराई को दर्षाता हुआ कर्ज एवं दिवालिएपन के नवीन द्वार खोलता है। अत: इस दोष से बचने के लिए इस क्षेत्र में कालीन, दरी, चटाई आदि बिछा देने से गहराई प्रतिबिंबित नहीं होती तथा धन हानि भी नहीं हो पाती। 
 

     







Wednesday, 24 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (34-37)

34 . धन लाभ के लिए कम्प्यूटर की उचित स्थिति :

यदि किसी व्यक्ति को कम्प्यूटर के माध्यम से धन अर्जित करके सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना हो अथवा कम्प्यूटर के क्षेत्र में कैरियर बनाना हो तो उन्हें फेंग शुई का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। वैसे तो कम्प्यूटर को मेज पर सदैव अपने दाहिनी ओर रखना चाहिए तथा मेज की बाई ओर कम्प्यूटर से ऊंची कोई अन्य वास्तु (टेबल लैम्प) आदि रख देनी चाहिए। इसके अलावा ताजे फूलों का फूलदान या गुलदस्ता मेज की पूर्वी दिशा में रखकर उसके फूल प्रतिदिन बदलते रहना चाहिए।
मेज के दक्षिण-पश्चिम में क्रिस्टल बॉल मधुर एवं अच्छे संबंध एवं सामंजस्य रखने के लिए रखनी आवश्यक है और मेज के दक्षिण-पूर्व कोण में नीचे की ओर मनी प्लांट का पौधा रखना चाहिए। कम्प्यूटर के आस-पास प्रकाश की व्यवस्था दक्षिण की तरफ ही करनी चाहिए। क्योंकि दक्षिण दिशा अग्नि तत्वीय दिशा होती है जिसके कारण इस दिशा से आता प्रकाश मार्केट आदि में उस व्यक्ति का नाम, मान-सम्मान, वैभव, समृद्धि  स्थापित करने में काफी सहायक सिद्ध होती है।
समाज में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, वैभव, यश एवं लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भवन के कक्षों के नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में दो छड़ों वाली पवन घंटी या नौ छड़ों वाली क्रिस्टल अथवा चीनी मिट्टी की पवन घंटी लटकानी चाहिए। 

35 . नोंकदार व धारदार वस्तुएं अशुभ :



फेंग शुई के अनुसार नोंकदार व धारदार वस्तुएं तीव्र अशुभ एवं नकारात्मक 'ची' ऊर्जा उत्पन्न करती है। इन्हें कभी भी मेज या फार्श पर अथवा इधर-उधर नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से हानि की संभावना हो सकती है। मेज पर जब काम पूरा हो जाए तब कैंची, चाकू, पेचकस आदि को ऐसे न छोड़ें कि उनकी नोंक सीधी आपकी या अन्य किसी व्यक्ति की तरफ हो, क्योंकि ऐसा करने से इस वस्तुओं की अशुभ ऊर्जा का गहरा प्रभाव पड़ने से नुकसान हो सकता है। भूलकर भी बातों बातों में नोकदार वस्तुएं किसी भी व्यक्ति पर तानकर उससे वार्तालाप न करें अन्यथा इन वस्तुएं की अशुभ ऊर्जा के फलस्वरूप आपस में दोस्ती समाप्त हो सकती है। उपहारस्वरूप कैंची, चाकू, पेचकस आदि पैनी वस्तुएं किसी को भी नहीं देनी चाहिए। यह भवन में अशुभ ऊर्जा पैदा करती है। यदि कोई मित्र उपहार में चाकू, कैंची अथवा अन्य पैनी चीज दे तो उसे इसके बदले में एक सिक्का अवश्य दे दे। इस प्रकार वह वास्तु प्रतीकात्मक रूप से क्रय कर लेने से उन पैनी वस्तुओं की अशुभता समाप्त हो जाती है।

36 . शुभ वृक्ष :


फेंग शुई के भवन के आग्नेय कोण में नींबू, संतरे आदि के पेड़ लगाने बहुत ही शुभ माने गए हैं। यदि किसी भवन के समीप आग्नेय कोण की तरफ संतरे के फलों से भरा पेड़ लगा हो तो ऐसा भवन बहुत ही शुभ परिणाम देने वाला होता है। इस प्रकार के भवन में रहने से परिवार में सुख-शांति एवं धन-संपत्ति की असीम वृद्धि होती है। फलने-फूलने वाले अधिकतर पेड़-पौधे व्यक्ति की उन्नति एवं समृद्धि के प्रतिक होते है तथा गुलदावदी, बांस, आलूबुखारे के पेड़-पौधे विशेष रूप से अधिक फलदायक मने जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति के भवन में बगीचा हो तो उसे बगीचे के आग्नेय कोण में लगाने से उस भवन के सभी सदस्यों को सफलता एवं उन्नति के अनेक अवसर एवं नए-नए संसाधन प्राप्त होते हैं।

37 . ग्राहकों व भागीदारों से मधुर सम्बंध :



यदि कोई व्यक्ति बिक्री के लिए मोटे ग्राहक की तलाश में हो तो वह अपने पते की डायरी एवं प्लानिंग स्किम (योजना प्रारूप) को सदैव अपनी मेज के उत्तर-पूर्व कोण में रखे। भवन के कार्यालय में यदि संगमरमर की टाइलें आदि टूटी हो तो उन्हें तुरंत बदलवा देना चाहिए अथवा कार्पेट आदि से ढक देना चाहिए, क्योंकि भवन अथवा आवास में टाइलें टूटी रहने के फलस्वरूप उस व्यक्ति के परिवार के सदस्यों, भागीदारों एवं ग्राहकों के मध्य मजबूत सम्बन्ध स्थापित नहीं हो पाते। भूलकर भी कभी भी बिगड़े हुए उपकरण घड़ी, टेलीविजन, मिक्सर, ग्राइंडर, बालपेन, कैसेट आदि भवन में नहीं रखने चाहिए, क्योंकि ये टूटी व ख़राब वस्तुएं भवन में अशुभ ऊर्जा को उत्पन्न करती हैं। यदि ये वस्तुएं चालू अवस्था में ठीक हो सकती हैं तो उन्हें अवश्य ठीक करें, अन्यथा तुरंत भवन के बाहर फ़ेंक देना ही शुभ रहता है। दो उंगलियों से पकड़े रुपयों के नोट या पैन-पेन्सिल आदि कभी नहीं लेने चाहिए, क्योंकि इससे कैंची की आकृति बनने से अशुभ नकारात्मक 'ची' ऊर्जा उत्पन्न होती है जो व्यक्ति के दुर्भाग्य में वृद्धि करती है।
         


Monday, 22 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (31-33)

31 . सैभाग्य वृद्धि के लिए बढ़िया क्रॉकरी इस्तेमाल करें :



फेंग शुई के नियमानुसार भूलकर भी चाय, काफी, शरबत, भोजन आदि को टूटी अथवा चटकी क्राकरी में भरकर नहीं खिलाना-पिलाना चाहिए, क्योंकि टूटी हुई क्राकरी में खाने-पीने से दुर्भाग्य की वृद्धि होती है, घर के कप-प्लेट आदि क्राकरी चटकी अथवा टूटी हो तो उसे भवन में नहीं रखना चाहिए। उसे तुरंत फेंक देना चाहिए, ताकि न तो इस्तेमाल हो और न ही वे दुर्भाग्य के कारण बन सके। प्राचीन मान्यता के अनुसार चटके कप-प्लेट, प्यालो आदि में खाने-पीने से बरकत समाप्त हो जाती है और व्यक्ति का सैभाग्य दुर्भाग्य में  बदल जाता है। फेंग शुई के अनुसार भूलकर भी केतली से चाय या काफी को मेहमानों के सामने प्यालों में धार के रूप में उनकी तरफ करके नहीं डालना चाहिए तथा स्वयं किसी के घर जाएं तो यह अवश्य ध्यान रखें कि कोई केतली की टोटी की धार आपकी तरफ करके तो प्याले में चाय, काफी या जूस नहीं डाल रहा है। इससे उस व्यक्ति में मतभेद, अनिश्चितता एवं गलतफहमी आदि पैदा हो सकती है। अत: ऐसी स्थिति से बचना परम आवश्यक है।  
    
32 . दुष्प्रभाव रोकती है पवन घंटियां :




वैसे तो धातु की बनी पवन घंटियां सदैव भवन की पश्चिमी दिशा या वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में, जबकि लकड़ी की बनी पवन घंटियों को पूर्व दिशा, आग्नेय (पूर्व-दक्षिण) कोण या दक्षिण दिशा में ही लटकाना चाहिए।  मिट्टी या चीनी मिट्टी की बनी पवन घंटियों को दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य) कोण, ईशान (पूर्व-उत्तर) कोण या मध्य में लटकाना लाभदायक होता है। धातु की बनी पवन घंटियां को भवन (गृह/आवास) के कोने के दुष्प्रभाव को रोकने या उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों अथवा गृह स्वामी के सौभाग्य वृद्धि के लिए लगाया जाता है।  सैभाग्य वृद्धि के लिए छः छड़ों वाली एवं आठ छड़ों वाली पवन घंटी का प्रयोग करना चाहिए, इसी प्रकार दुष्प्रभाव रोकने के लिए पांच छड़ों वाली पवन घंटी का प्रयोग करना चाहिए। 

33 . पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए कलश व फूलदान :





फेंग शुई के नियमानुसार परिवार को सुख समृद्धि से भरपूर रखने के लिए चीनी मिटटी से बने कलश एवं फूलदानों से भवन सजाना आवश्यक है, क्योंकि इस प्रकार की वस्तुएं कम कीमत वाली एवं सजावटी होकर सकारात्मक 'ची' ऊर्जा के प्रवाह का अच्छा माध्यम सिद्ध हो सकती है। पतली सुराहीदार गर्दन वाली मिट्टी की गुल्लक के आकार के जार धन दौलत में वृद्धि के कारक व बहुत ही भाग्यशाली माने गए हैं। इन चीनी मिट्टी के जारों पर बने फीनिक्स, ड्रैगन आदि के चित्र शुभ ऊर्जा के अच्छे संकेत माने गए हैं। पृथ्वी तत्व में वृद्धि के लिए इन्हे दक्षिण-पश्चिम कोण में रखें तथा इनमे रत्न, क्रिस्टल या कीमती पत्थर के टुकड़े डाले। इन्हे भूलकर भी खाली नहीं रखना चाहिए। पूर्व या उत्तर की तरफ फर्श पर अंदर लगे दर्पण लाभकारी होते हैं। भवन की निचली मंजिल पर पूर्वोत्तर के फर्श पर पूर्वी एवं उत्तरी भाग में दर्पण लगाने से फर्श में सकारात्मक 'ची' की वृद्धि से फर्श पर गर्मी आती है। इससे अधिक लाभ होता है। इस कोण पर अंडर ग्राउंड जल टैंक बनाना भी लाभकारी होता है।

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (27-30)

27 . भवन का वातावरण अनुकूल बनाना :



भवन के आसपास के वातावरण उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। फेंग शुई के मूल सूत्रों का उपयोग कर भवन के भीतरी वातावरण को सुधार कर अपने अनुकूल किया जा सकता है, किन्तु भवन के बाहरी वातावरण को अपने अनुकूल बनाना काफी कठिन कार्य है। इसके लिए व्यक्ति को विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती है। भवनावास या दुकान के बाहर कहां पर हानिकारक 'ची' ऊर्जा का प्रभाव है इसका पता लगाना बेहद कठिन कार्य है। यहां तक कि सीधी भवन की ओर आती सड़क भी गृहस्वामी के लिए दुर्भाग्य  बढ़ाने वाली, उन्नति रोकने वाली, काफी बुरी एवं हानिकारक हो सकती है। अत: इसके बचाव के लिए पा-कुआ दर्पण अथवा पांच छड़ो वाली पवन घंटी भवन के बाहर लगानी चहिए, क्योंकि ये उपकरण अशुभ एवं नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में सहायक सिद्ध होते है। भवन के सम्मुख घुमावदार रास्ता शुभ एवं श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु भवनावास के सामने स्थित त्रिकोणात्मक छत बेहद हानिकारक 'ची' ऊर्जा उत्पन्न करने के कारण अशुभ होती है। भवन के बाहर बिजली एवं फोन के खंभे, टी. वी. टावर, पेड़, ऊँचे भवन, दो दीवारों का जोड़ आदि नकारात्मक तीव्र अशुभ ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। अत: इनसे आवास की सुरक्षा के लिए पा-कुआ दर्पण अथवा पांच छड़ो वाली पवन घंटी भवन के बाहर लगानी चहिए। 
            
   
28 . भवन के सम्मुख बगीचे के लाभ :



भवन के समीप आगे या साइड में थोड़ी जगह हो तो उस जगह पर लाल गुलाबी, हलके बैंगनी, दूधिया आदि रंगो के फूल लगाएं। यदि बगीचा भवन के दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोण, नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण के सम्मुख हो तो शुभ माना जाता है। बगीचे सकारातमक ऊर्जा के अच्छे माध्यम होते है। विशेष रूप से छोटे बगीचे अत्यंत शुभकारी 'यांग' ऊर्जा ग्रहण करते हैं। यदि भूखंड के कोने कटे हुए हो तो उन्हें पेड़ पौधों के माध्यम से प्रतीकात्मक रूप से सुधार सकते है। ऐसे पेड़ पौधों को तीन सप्ताह में कम-से-कम एक बार काटते-छांटते रहें, क्योंकि बेतरकीब बढ़े हुए पेड़ पौधों की सूखी पत्तियां एवं सूखे फूलों को सदैव अलग करते रहें, क्योंकि सूखे फल  एवं पत्तियां अशुभ 'यिन' ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। भवन के बाहर कांटेदार पौधे रखें। यह पौधे भवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन्हे प्रवेश द्वार के समीप न रखें, वैसे तो बगीचे का पूर्व, दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोण अधिक हरा-भरा एवं फलदार होना चाहिए, क्योंकि वहां पर लगे हरे-भरे एवं स्वस्थ पेड़ धन आने का मार्ग खोलते हैं।
     
29 . जीवनरक्षक तुलसी का पौधा :

हिन्दू शास्त्रों एवं आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार तुलसी का पौधा जीवनरक्षक पौधा माना गया है। इसके अंदर पारे की भरपूर मात्रा होती है। इसी कारण से यह अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए उपयोगी माना गया है। यह पौधा भवन के मध्य में स्थित होकर समस्त नकारात्मक ऊर्जाओं को सोख लेता है और उन्हें सकारात्मक बना देता है। पर्यावरण की दृष्टि से या अशुद्ध दूषित वायु को शुद्ध कर अधिक मात्रा में प्राणवायु का सृजन करता है, इसलिए इसे लक्ष्मी देवी का स्वरूप माना गया है तथा लोग इसकी पूजा करते हैं। पच्चीस पत्तियां पीस कर निगल जाने का प्रतिदिन अभ्यास करने वाला व्यक्ति कैंसर, एड्स जैसे भयंकर रोगों से छुटकारा पा लेता है।
     
30 . लव बर्ड्स से पारिवारिक सुख-शांति :



परिवार में प्रेम, तालमेल अर्थात सामंजस्य, सुख-शांति एवं सम्पन्नता बढ़ाने के लिए काष्ठ की बनी बत्तख का जोड़ा भवन के पूर्व दिशा में रखना चाहिए। परिवार की खुशहाली के लिए लव बर्ड्स (प्रेमी-परिंदे) का जोड़ा अथवा इनकी पेंटिंग या चित्र अथवा बत्तख का पूरा परिवार भवन की पूर्व दिशा में रखना चाहिए। भूलकर भी जीवित लव बर्ड्स या बत्तख आदि को पिंजरे में बंद न रखें, पिंजरों में कैदी होने हे ये पक्षी भवन में दुर्भाग्य की वृद्धि करते हैं, क्योंकि इनकी स्वतंत्रता छिनी होती है।

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (24-26)

24 . मुख्य द्वार की उचित स्थिति :



भवन का मुख्य द्वार हमेशा एक बड़े हॉल में खुलना चाहिए। यदि मुख्य द्वार भोजन कक्ष में खुले तो उस भवन के व्यक्ति दिन-रात खाने-पीने के बारे में सोचते रहते है। यदि मुख्य द्वार रसोई घर में खुलता है तो ऐसा भवनावास भी सौभाग्यशाली घर नहीं हो पता। ऐसे भवन में रहने वाले सदस्यों में एक-दूसरे के प्रति जलन व क्रोध बढ़ता है जिससे पारिवारिक कलह का वातावरण बनता है। यदि मुख्य द्वार शयन कक्ष के निकट खुलता है तो उस भवन में रहने वाले व्यक्ति आलसी, निकम्मे एवं कामचोर होते हैं। वैसे तो मुख्य द्वार लम्बे एवं घुमावदार गलियारे में नहीं खुलना चाहिए। यदि किसी कारणवश मुख्य द्वार लम्बे गलियारे में खुलता हो तो वहां पर द्वार के भीतर की ओर एक परदा अवश्य ही लगा होना चाहिए। मेरे अनुभव के अनुसार मुख्य द्वार  हाल अथवा अहाते में खुलना चाहिए तथा मुख्य द्वार के ठीक सामने दूसरा द्वार नहीं होना चाहिए। यदि किसी कारणवश द्वार मुख्य द्वार के सम्मुख हो तो वहां एक पवन घंटी, क्रिस्टल बॉल अथवा स्क्रीन अदि लगा देनी चाहिए।
    
25 . पवन घंटी का लाभ :




फेंग शुई के अनुसार अनेक प्रकार की पवन घंटियों को व्यक्ति की लोकप्रियता बढ़ाने एवं अच्छे भाग्य, यश एवं सम्मान में वृद्धि के लिए विभिन्न कक्षों में लटकाया जाता है।  पवन घंटियां जिस पदार्ध की बानी होश हैं उनही के अनुरूप लगाने से उस स्थान के तत्व के सामंजस्य के कारण अलग-अलग प्रभाव डालती हैं और उसके शुभाशुभ प्रभाव उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों एवं भवन स्वामी पर पड़ता है।  मेरे अनुभव के अनुसार घंटिया गलत जगह पर लगाने से ये उस गृह की ऊर्जा कसंतुलन ख़राब कर देती है, क्योंकि पवन घंटियां काष्ठ, मिट्टी, चीनी मिट्टी अतःवा धातु की बानी हो सकती हैं. भवन की दिशाओं एवं अन्य चारों कोणों (उपदिशाओं) के तत्वों के अनुरूप लगाने से यह दिशाओं एवं कोणों को ऊर्जामय कर देती है।

26 . शुभदायक 'यांग' ऊर्जा के प्रवाह के लिए :



फेंग शुई के अनुसार सांय के समय कपड़े धोकर रात भर भवन के बाहर छज्जे या छत के ऊपर कभी नहीं सूखाने चाहिए, क्योंकि रात भर बाहर पड़े कपडे अशुभ नकारात्मक 'ची' ऊर्जा को सोख लेते हैं जो दुर्भाग्य के कारण बनते हैं। रात्रि में बाहर सूखने वाले वस्त्र रात्रि को 'यिन' ऊर्जा को अत्यधिक मात्रा में सोख लेते है, जिसके फलस्वरूप इन कपड़ो को उपयोग में लाने वालों व्यक्तियों का ऊर्जा संतुलन अव्यवस्थित हो जाता है, जिसके कारण मानसिक तनाव, अवसाद, उदासीनता एवं दुर्भाग्य की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि किसी कारणवश रात्रि में कपडे सूखाने हो तो बिना खिड़की के कमरों में भवन के भीतर ही सुखाने चाहिए तथा दिन के समय कपड़ों को सदैव बाहर सुखाएं। इस प्रकार कपडे दिन में धूप में शुभ 'यांग' ऊर्जा को ग्रहण कर लेते है जो भवन के लिए सामंजस्य, प्रेम एवं सुख का प्रतीक होती है।

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (21-23)

21 . निरंतर धन वृद्धि :


प्राय: प्रत्येक व्यक्ति की यह हार्दिक इच्छा होती है की उसका धन पूर्णत: सुरक्षित रहे और उसमे सदैव वृद्धि होती रहे, अत: ऐसा व्यक्ति धातु अथवा पृथ्वी तत्व के वस्तुओं से निर्मित स्वयं का एक सुन्दर कलश बनाकर अपने सभी आभूषण-रत्न, मोती आदि उसमे रखें। उस कलश को अलमारी के भीतर ऐसे रखें कि वह किसी बाहरी व्यक्ति को नजर न आए। यदि कलश धरती तत्व का हो तो उसे दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) अथवा ईशान (उत्तर-पूर्व) कोण की अलमारी में रखें। यदि कलश धातु का बना है तो उसे पश्चिम दिशा अथवा वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में अलमारी में रखें। पृथ्वी तत्व में पकी मिट्टी, चीनी मिट्टी अथवा क्रिस्टल का कलश एवं धातु तत्व में पीतल, ताम्बा, चांदी अथवा सोने के कलश इस्तेमाल किए जा सकते है। धन के कलश की भूलकर भी द्वार के सम्मुख अलमारी में न रखें, अन्यथा धन पानी की तरह बहकर नष्ट हो जाता है।

22 . दुकान की बिक्री में वृद्धि :

फेंग शुई के नियमानुसार दुकान के बाहर पेड़ पौधों की सजावट भी ग्राहकों को दुकान की तरफ आकर्षित करती है, जिसके कारण खरीदारी की संख्या में वृद्धि होती है।
फेंग शुई के अनुसार उत्तर-पूर्व की दिशा में फर्श से छत तक का दर्पण लगाने से लाभ होता है। इस प्रकार भवन, आवास, व्यवसाय स्थल पर लगे दर्पण के सामान ग्रेनाइट इस संगमरमर के बने फर्श भी दर्पण की तरह प्रभाव पैदा करते हैं तथा इनके प्रतिबिम्ब उस स्थान को प्रभावित करते हुए शुभ-अशुभ प्रभाव पैदा करते है।

23 . बागुआ दर्पण :


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बागुआ सभी प्रकार से पा-कुआ दर्पण के समान होता है। केवल एक भिन्नता यह होती है कि बागुआ के मध्य में दर्पण के स्थान पर 'यिन' ऊर्जा एवं 'यांग' ऊर्जा के प्रतिक चिन्ह बने होते हैं। बागुआ दर्पण को दरवाजे के ऊपर (मुख्य द्वार के ऊपर) लाल धागे से लटकाना चाहिए। वैसे तो बागुआ दर्पण को मुख्य शयन कक्ष के द्वार के फ्रेम पर भी लटकाना चिहिए. यदि इसे अपने ऑफिस के प्रयोग में लाना हो तब इसे केबिन के द्वार के फ्रेम पर अवश्य लटकाएं।

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (18-20)

18 . गृह स्वामी के भाग्योदय के लिए :



फेंग शुई के अनुसार भवन के मुख्य द्वार उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों एवं गृहस्वामी के भाग्य को जाग्रत कर सकता है और बिगाड़ भी सकता है, क्योंकि भवन के मुख्य द्वार से ही व्यक्ति का भाग्य भवन में प्रवेश करता है। वैसे तो भवन के आस-पास अथवा भवन के भीतर या बाहर शुभ वस्तुएं रख देना मात्र ही प्रयाप्त नहीं होता, इसलिए सबसे पहले यह देखें की मुख्य द्वार के समीप शौचालय तो नहीं है। मेरे अनुभव के अनुसार शौचालय मुख्य द्वार से काफी दूर बनाना चाहिए, जिससे भवन में प्रवेश करने वाली भाग्यशालिनी 'ची' ऊर्जा शौचालय के संपर्क में आकर प्रतिकूल न बन सके, क्योंकि शौचालय सदैव अशुभ 'ची' नकारात्मक ऊर्जा की उतपत्ति करते हैं। यदि किसी कारणवश शौचालय मुख्य द्वार के समीप हो तो उसे मुख्य द्वार के समीप ठोस दीवार बनवाकर बंद कर दें तथा दूसरी तरफ शौचालय का द्वार कर ले। इससे 'ची' का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है। मुख्य द्वार के पास शौचालय के द्वार को परदे से ना ढकें। उसे ठोस दीवार से ही बंद करें।

19 . पूजाकक्ष :



फेंग शुई के अनुसार भवन में पूजाकक्ष सदैव मुख्य द्वार के सम्मुख भवन के ईशान (उत्तर-पूर्व) कोण में बनवाना चाहिए। पूजा कक्ष को सदैव स्वच्छ रखें। पूजा कक्ष में मूर्तियां फर्श के स्तर से ऊंची रखनी चाहिए तथा पूजा पक्ष में दीपक अथवा बल्ब सदैव जलाए रखना चाहिए जिससे पूजाकक्ष में सदैव सकारात्मक 'ची' ऊर्जा उत्पन्न होती रहे। भूलकर भी पूजा कक्ष में भोजन न करें। इस जगह में गन्दा सामान न रखें। यहां झाड़ू पोछा आदि भूलकर भी न रखें,  क्योंकि यह पवित्र स्थान है।

फेंग शुई के अनुसार पूजा घर शयन कक्ष में भूलकर भी नहीं बनवाना चाहिए। पूजा कक्ष को शौचालय के समीप, सीढ़ियों के नीचे या सीढ़ियों के सामने भी कभी नहीं बनवाना चाहिए, क्योंकि सीढ़ियों के निकट या सम्मुख पूजाकक्ष महाअशुभ माना गया है। पूजाकक्ष में झाड़फानूस जलाने से सकारात्मक 'ची' ऊर्जा में वृद्धि होती है।

20 . दाम्पत्य जीवन में कलह से बचाव :


शयन कक्ष में फेंग शुई के अनुसार दर्पण ऐसी जगह नहीं लगाना चाहिए जिसमे पूरा का पूरा पलंग परिवर्तित होकर दिखता हो। ऐसे स्थान पर दर्पण लगाने से उस शयन कक्ष से सकारात्मक ऊर्जा बाहर हो जाती है, जिससे दाम्पत्य अर्थात वैवाहिक जीवन कड़वाहट से भर जाता है तथा दाम्पत्य कलह प्रारम्भ हो जाती है। ऐसे भवन में रहने वाले पति-पत्नी एक दूसरे से विश्वासघात करते हैं, क्योंकि उन दोने के मध्य तीसरे व्यक्ति की मित्रता के कारण उन पति-पत्नी के मध्य संबंधों में दरार उत्पन्न हो जाती है। अत: शयन कक्ष में से दर्पण तुरंत हटा दें। यदि ऐसा संभव न हो तो उसे परदे से ढक दे या दर्पण पर वालपेपर लगाएं। मेरे अनुभव के अनुसार शयन कक्ष के भीतरी छत पर दर्पण लगाना सबसे अधिक हानिकारक होता है, क्योंकि ऐसा दर्पण शयन कक्ष में स्थान बढ़ाने का भ्रम उत्पन्न कर नकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढ़ाकर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम कर देता है। ऐसे शयन कक्ष में रहने वाले पति-पत्नी अपनी संतुष्टि के लिए निश्चित रूप से  तीसरे व्यक्ति (स्त्री-पुरुष) का सहारा ले लेते हैं। अत: इस ऊर्जा से बचने के लिए शयन कक्ष में दर्पण अथवा ड्रेसिंग टेबल नहीं रखना चाहिए, यदि संभव हो तो शयन कक्ष में कभी भी दर्पण न रखें। यदि रखना ही पड़े तो ऐसे कोण पर दर्पण रखें जिससे उसमे पलंग परावर्तित न हो सके।

Saturday, 20 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (14-17)

14 . तनावपूर्ण पारिवारिक वातावरण से मुक्ति :


पति-पत्नी के संबंध असामान्य होने से लड़ाई-झगड़े, तनाव एवं निराशा का जो वातावरण भवन में बना होता है, फेंग शुई के सिद्धांत अपनाकर उस वातावरण से छुटकारा पाया जा सकता है और भवन (आवास) का वातावरण सरल एवं सामान्य बनाकर दाम्पत्य जीवन को फिर से मधुर बनाया जा सकता है।  उत्तर दिशा की शुद्धि के लिए एक पात्र में पानी लेकर थोड़ा केसर घोले। फिर उस पात्र को लेकर घड़ी की तरह घूमते हुए उसके जल को उत्तर दिशा में स्थित कक्षों में छिड़क दें। दक्षिण दिशा की शुद्धि के लिए तीन मोमबत्तियां जलाकर दक्षिण दिशा में रखें। पश्चिम एवं वायव्य कोण की शुद्धि के लिए एक कटोरे में सोने या चांदी के सिक्के  भरकर इन क्षेत्र में रख दें। पूर्व दिशा एवं आग्नेय कोणीय दिशा की शुद्धि के लिए सात प्रकार के फूलों की पत्तियों को इन दिशाओं में रखें। ईशाण कोण एवं नैऋत्य कोण की शुद्धि के लिए नदी या समुद्र की मिट्टी लगाकर, अगरबत्तियां जलाकर जब राख निकले उसे मिट्टी में मिला कर ईशाण कोण एवं नैऋत्य कोण में डाले। ये सभी चीजें चौबीस (२४) घंटे तक रखें। इसके बाद मिट्टी एवं फूलों को सदी या समुद्र में प्रवाहित कर दे  तथा रखकर प्रतिदिन पूजा करें। इससे भवन के सभी भागों को ऊर्जामय बनाकर आप सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

15 . मधुर दाम्पत्य जीवन :



फेंग शुई के अनुसार शयन कक्ष में टेलीविजन सेट अपनी अत्यधिक 'यांग' ऊर्जा के प्रभाव के कारण पति-पत्नी के सम्बन्धो में कड़वाहट भर देते है, क्योंकि टेलीविजन को स्क्रीन बंद होने की स्थिति में पलंग को दर्पण के भांति परावर्तित कराती है। अत: शयन कक्ष में रखे टी.वि. को तुरंत हटा देना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो  कम-से-कम टी.वि. की स्क्रीन को परदे या कवर से अवश्य ही ढक देना चाहिए, जिससे वह शयन कक्ष को परावर्तित न कर सके। इससे पति-पत्नी का जीवन मधुर होता है। 

16 . संबंधो में मजबूती :

फेंग शुई के अनुसार शयन कक्ष में लगा गोल दर्पण संबंधों में मजबूती लाता है और दाम्पत्य जीवन मधुर बनाता है। दर्पण को भूलकर भी पलंग के पैरों की ओर बिलकुल सामने नहीं रखना चाहिए, क्योंकि अंधेरे में अपने प्रतिबन्ब से आप स्वयं डर सकते हैं। 

17 . लाभ में वृद्धि :


फेंग शुई के अनुसार दुकान पर अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुकान की दीवारों पर बड़े-बड़े दर्पण इस प्रकार से लगाएं कि दुकान का पूरा सामान एवं तिजोरी दर्पण में दिख सके। भूलकर भी दर्पण प्रवेश द्वार के सामने न लगाएं, अन्यथा धन हानि हो सकती है। दुकान के चारों ओर लगे दर्पण दुकान में होने वाले लाभ को दोगुना कर देते है, क्योंकि दर्पण ही दुकान में व्यवसाय की अच्छी सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करते है। दुकान में खंबे एवं अलमारियों आदि पर भी दर्पण लगवा देने चाहिए, हो सके तो पूरी दुकान में दर्पण लगवाएं। मात्र प्रवेश द्वार के सम्मुख ही दर्पण ने लगाएं। 

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (11-13)

11 . भाग्यशाली भवन :



फेंगशुई के अनुसार भवन सज्जा में रंगों का विशेष महत्व है, क्योंकि प्रत्येक रंग की ऊर्जा आवृति पृथक-पृथक होती है। इन रंगों में परस्पर संतुलन बनाने से परिवार में प्रेम एवं सामंजस्य बना रहता है, क्योंकि प्रकृति ने भी रंग-बिरंगी चीजें बनाकर रंगो में महत्व को उजागर किया है। यही रंग व्यक्ति के जीवन में रंगत भर देते है। मेरे अनुभव के अनुसार मुख्य रूप से पांच रंगों की प्रमुख भूमिका होती है। यही पांच प्रधान रंग पांच तत्वों में विद्धमान रहते हैं, जैसे लकड़ी (काष्ठ) में हरा, अग्नि में लाल, पृथ्वी में पीला, धातु में सफेद एवं जल में नीला रंग होता है। अत: भवन में पेंटिंग, कालीन, चादरों द्वारा दीवारों पर रंग आदि करके रंग संतुलन बनाए रखना चाहिए। घर के बाहरी रंग रोपण पर ध्यान देना भी अत्यंत आवश्यक है। भवन की दीवारे, छत, दरवाजे आदि सभी कुछ यदि एक ही रंग में रंगे हो तो यह अच्छा संतुलन नहीं हो सकता, इसलिए भवन की दीवारें एवं भीतरी छते अलग-अलग रंगों की एवं दरवाजे अलग चमकदार रंगों में रंगवाने चाहिए। इस प्रकार रंग संतुलन के कारण भवन देखने में सुन्दर लगेगा और ऐसा भवन भाग्यशाली भी रहेगा। 

12 . जीवन साथी की प्राप्ति :



फेंगशुई के अनुसार स्त्रियों के लिए प्रेम, रोमांस एवं दाम्पत्य सुख में वृद्धि करने एवं अविवाहित युवतियों को जीवन साथी प्राप्त करने के लिए ड्रैगन शयन कक्ष में रखना शुभ एवं भाग्यशाली माना गया है, क्योंकि ड्रैगन सकारात्मक 'ची' ऊर्जा में वृद्धि कर देता है और पूरे भवन के वातावरण को अनुकूल प्रकृति में ढ़ाल देता है, जिसके कारण उस स्त्री की वैवाहिक इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। अत: जिन युवतियों को जीवन साथी की तलाश हो अथवा विवाह में बाधाएं आ रही हों, उन्हें अपने ड्राइंग (बैठक) में आग्नेय कोण में धातु का ड्रैगन रखना चाहिए।

जो युवतियां (स्त्रियां) अपने जीवन में मनचाहे जीवन साथी की अभिलाषा रखती हैं उन्हें अपने भवन के मध्य भाग में ड्रैगन की प्रतिमा लगानी चाहिए, क्योंकि यही ड्रैगन प्रेम एवं रोमांस की 'यांग' ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से आस-पास फैला देता है, जिससे उस युवती की समस्त इच्छाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं। 


13 . संतुलित 'यिन' ऊर्जा :




 फेंगशुई के अनुसार शयन कक्ष में अकेले ड्रैगन की प्रतिमा भूलकर भी नहीं रखनी चाहिए। इसे ड्राइंग रूम के आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में रखना चाहिए, क्योंकि शयन कक्ष में रखने से वह युवती आक्रामक हो जाती है  तथा ऐसी महिला से प्रेम एवं दोस्ती करने से पुरुष वर्ग कतराने लगता है। मेरे अनुभव के अनुसार जिस भवन में युवतियां अकेली अथवा अपनी माता के साथ रहती हों वहां पर 'यिन' ऊर्जा के कारण असंतुलन हो जाता है, अत: बैठक में ड्रैगन की प्रतिमा इस असंतुलित 'यिन' ऊर्जा को संतुलित कर  देती है।

Friday, 19 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (7-10)

7. सुख-समृद्धि, खुशहाली :



फेंग शुई के अनुसार भवन के दक्षिण-पश्चिम भाग में बॉल आकार के क्रिस्टल निर्मित बड़े बड़े पिरामिड रखने चाहिए। ये क्रिस्टल के बने पिरामिड भवन में पृथ्वी तत्व की ऊर्जा की वृद्धि करते है, इससे भवनावास में धन-संपत्ति का आभाव समाप्त होकर समृद्धि, खुशहाली एवं धन वृष्टि होती है तथा पारिवारिक सदस्यों के बीच प्रेम भाव में वृद्धि होती है।

8. हानि से बचने के लिए :


मेरे अनुभव के अनुसार वायव्य कोण में अधिक प्रकाश नहीं करना चाहिए, क्योंकि अग्नि तत्व की अधिकता से इस दिशा के धातु तत्व को नुकसान पहुँच सकता है। वैसे तो वायव्य कोण में जल रखना भी हानिकारक होता है, क्योंकि वायव्य कोण में स्थित धातु तत्व के प्रभाव को जल नष्ट कर देता है। अत: धातु तत्व की ऊर्जा को प्रभावशाली बनाने के लिए वायव्य कोण में बड़े आकार के क्रिस्टल रखना शुभ होता है।

9. परस्पर सौहादपूर्ण वातावरण :



फेंग शुई के अनुसार नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण को भू-ऊर्जा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। अत:इस क्षेत्र में "ची" ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए तेज प्रकाश वाल लैम्प लगाने चाहिए, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम कोण में 'यांग' ऊर्जा के आभाव में भवन में रहने वाले व्यक्तियों के पारिवारिक सामंजस्य का वातावरण अस्त-व्यस्त हो जाता है। यहाँ तक कि दक्षिण-पश्चिम कोण में यांग ऊर्जा का प्रभाव आने वाले मेहमान, सम्बन्धी एवं पड़ोसियों के विचारों पर भी पड़ता है और किसी भी विषय को लेकर उनमे आम सहमति नहीं बन पाती, इसलिए भवन के बाहर खुला स्थान रखें। नैऋत्य कोण में पत्थरों के छोटे छोटे टुकड़ों पर कलात्मक ढंग से सुनहरा रंग पोत दें। पूरे पत्थर को नहीं पोतना चाहिए। लेकिन सजावट के द्रष्टिकोण से पेंटिंग करें। पूरा पर्वत पोतने से पृथ्वी की ऊर्जा कमजोर हो जाती है।

10. सुख-शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन :


यदि किसी कारणवश भवन के बाहर पर्याप्त खुला स्थान न हो तो भवन के भीतर नैऋत्य कोण में पत्थरों का छोटा सजावटी ढेर लगाएं, फिर उसके ऊपर तेज प्रकाश का बल्ब जलाएं। इससे पृथ्वी का सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रियता से पूरे भवन में प्रवाहित होने लगती है। वैसे तो दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) में किसी विशाल पर्वत (हिमाचल, विंध्याचल आदि) की पेंटिंग लगाकर 'ची' ऊर्जा को अधिक सक्रीय बनाया जा सकता है। पेंटिंग में नदी, झरना जैसे अन्य जलस्रोत नहीं होने चाहिए। जिन युवक व युवतियों का विवाह न हो रहा हो उन्हें  नैऋत्य कोण में कृतिम पर्वत बनाकर उसके ऊपर तेज लाल रोशनी का लैम्प जला देना चाहिए, क्योंकि लाल रंग का प्रकाश वैवाहिक भाग्य से संबंध रखता है। यही प्रकाश उनकी वैवाहिक अभिलाषा को पूर्ण करने में सहायक होता है।

  • फेंग शुई के अनुसार ठोस दीवार की तरफ पीठ करके बैठने को शुभ मन जाता है। यदि अधिकारी भारी  पड़ने लगे तब उसके व्यवस्था इस प्रकार की हो कि बैठते समय उसकी पीठ के पीछे ठोस दीवार न हो।

  • फेंग शुई के अनुसार शयन कक्ष के दक्षिण-पश्चिम कोण में मैंडेरिन बतख के एक जोड़े के साथ अवश्य ही एक गुलाबी क्वार्ट्ज रखने से अच्छे वैवाहिक संबंध बनने की संभावना बढ़ जाती है।      

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (3-6)

3. मनपसंद जीवन साथी :



विश्व में दिल (ह्रदय) के आकार के वास्तु को प्रेम के प्रतिक के रूप में माना जाता है। अत: दिल के आकार के क्रिस्टल को बनवाकर गले में टांगने से विवाह एवं पारिवारिक भाग्य के रूप में अत्यधिक सफलता मिलती है। मेरे अनुभव के अनुसार लाल मूंगे के बने दिल के आकार गले में धारण कर स्त्रियों को मनपसंद जीवन साथी के रूप में अच्छा पति मिलता है।

4. स्थायी वैवाहिक प्रेम के लिए :


फेंग शुई के अनुसार क्रिस्टल, रोज क्वार्ट्ज एवं अन्य रत्नो को दिल के आकार में पहनने से अथवा शयन कक्ष में रखने या उपहार देने से वैवाहिक प्रेम स्थायी हो जाता है। नीले या हरे रंग के बने दिल के आकार शुभ एवं श्रेष्ठ नहीं माने जाते। यहाँ तक कि नीले दिल के आकार गले में धारण करने वालों का प्रेम अधिक दिनों तक नहीं चल पाता तथा शीध्र ही उनके प्रेम में दरार पड़ जाती है।

5. शीघ्र विवाह के लिए :


अविवाहित युवतियों द्वारा चन्द्रमा के प्रकाश में क्रियाशील किए गए दिल को धारण करने से उनका विवाह जल्दी हो जाता है और उनके विवाह संबंधी बाधाएं स्वयं ही समाप्त हो जाती है क्रिस्टल अथवा अन्य कीमती रत्नो के बने दिल के आकार कप प्रयोग में लेन से पहले ऊर्जामय बनाना आवश्यक होता है।  इसलिए पूर्णिमा की रात्रि को दिल के आकार के प्रतीकों को लगातार तीन रातों तक चन्द्रमा के प्रकाश में सक्रीय होने के लिए रखना चाहिए. इसके बाद उन्हें शयन कक्ष के तकिए के निचे रखें या गले में धारण कर लें।  इनमे विवाह के देवता चन्द्रमा अपनी शुभ ऊर्जा भरके वैवाहिक जीवन को सुख-शांति से ऊर्जामय करके वैवाहिक जीवन को सुख-शांति, प्रेम एवं सामंजस्य से भर देता है।

6. उत्साहपूर्ण जीवन के लिए :


भवन में वास्तु दोष होने से प्रेम संबंधो में नीरसता आने लगाती है। अत: उत्साह एवं क्रियाशीलता लाने के लिए भवन (आवास) में पवन घंटियां लगानी चाहिए। फेंग शुई के अनुसार छह छड़ों की पवन घंटियां लगानी चाहिए। भवन के कक्षों में पंखे इस तरह से लगाएं कि घंटियां समय समय पर बजती रहें। उत्तर-पश्चिम कोण को अधिक सक्रीय बनाने के लिए वायव्य कोण में हल्के संगीत की व्यवस्था करनी चाहिए।