27 . भवन का वातावरण अनुकूल बनाना :
भवन के आसपास के वातावरण उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। फेंग शुई के मूल सूत्रों का उपयोग कर भवन के भीतरी वातावरण को सुधार कर अपने अनुकूल किया जा सकता है, किन्तु भवन के बाहरी वातावरण को अपने अनुकूल बनाना काफी कठिन कार्य है। इसके लिए व्यक्ति को विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती है। भवनावास या दुकान के बाहर कहां पर हानिकारक 'ची' ऊर्जा का प्रभाव है इसका पता लगाना बेहद कठिन कार्य है। यहां तक कि सीधी भवन की ओर आती सड़क भी गृहस्वामी के लिए दुर्भाग्य बढ़ाने वाली, उन्नति रोकने वाली, काफी बुरी एवं हानिकारक हो सकती है। अत: इसके बचाव के लिए पा-कुआ दर्पण अथवा पांच छड़ो वाली पवन घंटी भवन के बाहर लगानी चहिए, क्योंकि ये उपकरण अशुभ एवं नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में सहायक सिद्ध होते है। भवन के सम्मुख घुमावदार रास्ता शुभ एवं श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु भवनावास के सामने स्थित त्रिकोणात्मक छत बेहद हानिकारक 'ची' ऊर्जा उत्पन्न करने के कारण अशुभ होती है। भवन के बाहर बिजली एवं फोन के खंभे, टी. वी. टावर, पेड़, ऊँचे भवन, दो दीवारों का जोड़ आदि नकारात्मक तीव्र अशुभ ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। अत: इनसे आवास की सुरक्षा के लिए पा-कुआ दर्पण अथवा पांच छड़ो वाली पवन घंटी भवन के बाहर लगानी चहिए।

भवन के आसपास के वातावरण उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। फेंग शुई के मूल सूत्रों का उपयोग कर भवन के भीतरी वातावरण को सुधार कर अपने अनुकूल किया जा सकता है, किन्तु भवन के बाहरी वातावरण को अपने अनुकूल बनाना काफी कठिन कार्य है। इसके लिए व्यक्ति को विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती है। भवनावास या दुकान के बाहर कहां पर हानिकारक 'ची' ऊर्जा का प्रभाव है इसका पता लगाना बेहद कठिन कार्य है। यहां तक कि सीधी भवन की ओर आती सड़क भी गृहस्वामी के लिए दुर्भाग्य बढ़ाने वाली, उन्नति रोकने वाली, काफी बुरी एवं हानिकारक हो सकती है। अत: इसके बचाव के लिए पा-कुआ दर्पण अथवा पांच छड़ो वाली पवन घंटी भवन के बाहर लगानी चहिए, क्योंकि ये उपकरण अशुभ एवं नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में सहायक सिद्ध होते है। भवन के सम्मुख घुमावदार रास्ता शुभ एवं श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु भवनावास के सामने स्थित त्रिकोणात्मक छत बेहद हानिकारक 'ची' ऊर्जा उत्पन्न करने के कारण अशुभ होती है। भवन के बाहर बिजली एवं फोन के खंभे, टी. वी. टावर, पेड़, ऊँचे भवन, दो दीवारों का जोड़ आदि नकारात्मक तीव्र अशुभ ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। अत: इनसे आवास की सुरक्षा के लिए पा-कुआ दर्पण अथवा पांच छड़ो वाली पवन घंटी भवन के बाहर लगानी चहिए।
28 . भवन के सम्मुख बगीचे के लाभ :

भवन के समीप आगे या साइड में थोड़ी जगह हो तो उस जगह पर लाल गुलाबी, हलके बैंगनी, दूधिया आदि रंगो के फूल लगाएं। यदि बगीचा भवन के दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोण, नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण के सम्मुख हो तो शुभ माना जाता है। बगीचे सकारातमक ऊर्जा के अच्छे माध्यम होते है। विशेष रूप से छोटे बगीचे अत्यंत शुभकारी 'यांग' ऊर्जा ग्रहण करते हैं। यदि भूखंड के कोने कटे हुए हो तो उन्हें पेड़ पौधों के माध्यम से प्रतीकात्मक रूप से सुधार सकते है। ऐसे पेड़ पौधों को तीन सप्ताह में कम-से-कम एक बार काटते-छांटते रहें, क्योंकि बेतरकीब बढ़े हुए पेड़ पौधों की सूखी पत्तियां एवं सूखे फूलों को सदैव अलग करते रहें, क्योंकि सूखे फल एवं पत्तियां अशुभ 'यिन' ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। भवन के बाहर कांटेदार पौधे रखें। यह पौधे भवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन्हे प्रवेश द्वार के समीप न रखें, वैसे तो बगीचे का पूर्व, दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोण अधिक हरा-भरा एवं फलदार होना चाहिए, क्योंकि वहां पर लगे हरे-भरे एवं स्वस्थ पेड़ धन आने का मार्ग खोलते हैं।
29 . जीवनरक्षक तुलसी का पौधा :

हिन्दू शास्त्रों एवं आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार तुलसी का पौधा जीवनरक्षक पौधा माना गया है। इसके अंदर पारे की भरपूर मात्रा होती है। इसी कारण से यह अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए उपयोगी माना गया है। यह पौधा भवन के मध्य में स्थित होकर समस्त नकारात्मक ऊर्जाओं को सोख लेता है और उन्हें सकारात्मक बना देता है। पर्यावरण की दृष्टि से या अशुद्ध दूषित वायु को शुद्ध कर अधिक मात्रा में प्राणवायु का सृजन करता है, इसलिए इसे लक्ष्मी देवी का स्वरूप माना गया है तथा लोग इसकी पूजा करते हैं। पच्चीस पत्तियां पीस कर निगल जाने का प्रतिदिन अभ्यास करने वाला व्यक्ति कैंसर, एड्स जैसे भयंकर रोगों से छुटकारा पा लेता है।
30 . लव बर्ड्स से पारिवारिक सुख-शांति :

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