Friday, 19 January 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (7-10)

7. सुख-समृद्धि, खुशहाली :



फेंग शुई के अनुसार भवन के दक्षिण-पश्चिम भाग में बॉल आकार के क्रिस्टल निर्मित बड़े बड़े पिरामिड रखने चाहिए। ये क्रिस्टल के बने पिरामिड भवन में पृथ्वी तत्व की ऊर्जा की वृद्धि करते है, इससे भवनावास में धन-संपत्ति का आभाव समाप्त होकर समृद्धि, खुशहाली एवं धन वृष्टि होती है तथा पारिवारिक सदस्यों के बीच प्रेम भाव में वृद्धि होती है।

8. हानि से बचने के लिए :


मेरे अनुभव के अनुसार वायव्य कोण में अधिक प्रकाश नहीं करना चाहिए, क्योंकि अग्नि तत्व की अधिकता से इस दिशा के धातु तत्व को नुकसान पहुँच सकता है। वैसे तो वायव्य कोण में जल रखना भी हानिकारक होता है, क्योंकि वायव्य कोण में स्थित धातु तत्व के प्रभाव को जल नष्ट कर देता है। अत: धातु तत्व की ऊर्जा को प्रभावशाली बनाने के लिए वायव्य कोण में बड़े आकार के क्रिस्टल रखना शुभ होता है।

9. परस्पर सौहादपूर्ण वातावरण :



फेंग शुई के अनुसार नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण को भू-ऊर्जा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। अत:इस क्षेत्र में "ची" ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए तेज प्रकाश वाल लैम्प लगाने चाहिए, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम कोण में 'यांग' ऊर्जा के आभाव में भवन में रहने वाले व्यक्तियों के पारिवारिक सामंजस्य का वातावरण अस्त-व्यस्त हो जाता है। यहाँ तक कि दक्षिण-पश्चिम कोण में यांग ऊर्जा का प्रभाव आने वाले मेहमान, सम्बन्धी एवं पड़ोसियों के विचारों पर भी पड़ता है और किसी भी विषय को लेकर उनमे आम सहमति नहीं बन पाती, इसलिए भवन के बाहर खुला स्थान रखें। नैऋत्य कोण में पत्थरों के छोटे छोटे टुकड़ों पर कलात्मक ढंग से सुनहरा रंग पोत दें। पूरे पत्थर को नहीं पोतना चाहिए। लेकिन सजावट के द्रष्टिकोण से पेंटिंग करें। पूरा पर्वत पोतने से पृथ्वी की ऊर्जा कमजोर हो जाती है।

10. सुख-शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन :


यदि किसी कारणवश भवन के बाहर पर्याप्त खुला स्थान न हो तो भवन के भीतर नैऋत्य कोण में पत्थरों का छोटा सजावटी ढेर लगाएं, फिर उसके ऊपर तेज प्रकाश का बल्ब जलाएं। इससे पृथ्वी का सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रियता से पूरे भवन में प्रवाहित होने लगती है। वैसे तो दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) में किसी विशाल पर्वत (हिमाचल, विंध्याचल आदि) की पेंटिंग लगाकर 'ची' ऊर्जा को अधिक सक्रीय बनाया जा सकता है। पेंटिंग में नदी, झरना जैसे अन्य जलस्रोत नहीं होने चाहिए। जिन युवक व युवतियों का विवाह न हो रहा हो उन्हें  नैऋत्य कोण में कृतिम पर्वत बनाकर उसके ऊपर तेज लाल रोशनी का लैम्प जला देना चाहिए, क्योंकि लाल रंग का प्रकाश वैवाहिक भाग्य से संबंध रखता है। यही प्रकाश उनकी वैवाहिक अभिलाषा को पूर्ण करने में सहायक होता है।

  • फेंग शुई के अनुसार ठोस दीवार की तरफ पीठ करके बैठने को शुभ मन जाता है। यदि अधिकारी भारी  पड़ने लगे तब उसके व्यवस्था इस प्रकार की हो कि बैठते समय उसकी पीठ के पीछे ठोस दीवार न हो।

  • फेंग शुई के अनुसार शयन कक्ष के दक्षिण-पश्चिम कोण में मैंडेरिन बतख के एक जोड़े के साथ अवश्य ही एक गुलाबी क्वार्ट्ज रखने से अच्छे वैवाहिक संबंध बनने की संभावना बढ़ जाती है।      

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