24 . मुख्य द्वार की उचित स्थिति :

भवन का मुख्य द्वार हमेशा एक बड़े हॉल में खुलना चाहिए। यदि मुख्य द्वार भोजन कक्ष में खुले तो उस भवन के व्यक्ति दिन-रात खाने-पीने के बारे में सोचते रहते है। यदि मुख्य द्वार रसोई घर में खुलता है तो ऐसा भवनावास भी सौभाग्यशाली घर नहीं हो पता। ऐसे भवन में रहने वाले सदस्यों में एक-दूसरे के प्रति जलन व क्रोध बढ़ता है जिससे पारिवारिक कलह का वातावरण बनता है। यदि मुख्य द्वार शयन कक्ष के निकट खुलता है तो उस भवन में रहने वाले व्यक्ति आलसी, निकम्मे एवं कामचोर होते हैं। वैसे तो मुख्य द्वार लम्बे एवं घुमावदार गलियारे में नहीं खुलना चाहिए। यदि किसी कारणवश मुख्य द्वार लम्बे गलियारे में खुलता हो तो वहां पर द्वार के भीतर की ओर एक परदा अवश्य ही लगा होना चाहिए। मेरे अनुभव के अनुसार मुख्य द्वार हाल अथवा अहाते में खुलना चाहिए तथा मुख्य द्वार के ठीक सामने दूसरा द्वार नहीं होना चाहिए। यदि किसी कारणवश द्वार मुख्य द्वार के सम्मुख हो तो वहां एक पवन घंटी, क्रिस्टल बॉल अथवा स्क्रीन अदि लगा देनी चाहिए।
25 . पवन घंटी का लाभ :

फेंग शुई के अनुसार अनेक प्रकार की पवन घंटियों को व्यक्ति की लोकप्रियता बढ़ाने एवं अच्छे भाग्य, यश एवं सम्मान में वृद्धि के लिए विभिन्न कक्षों में लटकाया जाता है। पवन घंटियां जिस पदार्ध की बानी होश हैं उनही के अनुरूप लगाने से उस स्थान के तत्व के सामंजस्य के कारण अलग-अलग प्रभाव डालती हैं और उसके शुभाशुभ प्रभाव उस भवन में रहने वाले व्यक्तियों एवं भवन स्वामी पर पड़ता है। मेरे अनुभव के अनुसार घंटिया गलत जगह पर लगाने से ये उस गृह की ऊर्जा कसंतुलन ख़राब कर देती है, क्योंकि पवन घंटियां काष्ठ, मिट्टी, चीनी मिट्टी अतःवा धातु की बानी हो सकती हैं. भवन की दिशाओं एवं अन्य चारों कोणों (उपदिशाओं) के तत्वों के अनुरूप लगाने से यह दिशाओं एवं कोणों को ऊर्जामय कर देती है।
26 . शुभदायक 'यांग' ऊर्जा के प्रवाह के लिए :

फेंग शुई के अनुसार सांय के समय कपड़े धोकर रात भर भवन के बाहर छज्जे या छत के ऊपर कभी नहीं सूखाने चाहिए, क्योंकि रात भर बाहर पड़े कपडे अशुभ नकारात्मक 'ची' ऊर्जा को सोख लेते हैं जो दुर्भाग्य के कारण बनते हैं। रात्रि में बाहर सूखने वाले वस्त्र रात्रि को 'यिन' ऊर्जा को अत्यधिक मात्रा में सोख लेते है, जिसके फलस्वरूप इन कपड़ो को उपयोग में लाने वालों व्यक्तियों का ऊर्जा संतुलन अव्यवस्थित हो जाता है, जिसके कारण मानसिक तनाव, अवसाद, उदासीनता एवं दुर्भाग्य की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि किसी कारणवश रात्रि में कपडे सूखाने हो तो बिना खिड़की के कमरों में भवन के भीतर ही सुखाने चाहिए तथा दिन के समय कपड़ों को सदैव बाहर सुखाएं। इस प्रकार कपडे दिन में धूप में शुभ 'यांग' ऊर्जा को ग्रहण कर लेते है जो भवन के लिए सामंजस्य, प्रेम एवं सुख का प्रतीक होती है।
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