44 . झाड़ू-पोंछा व अन्य सफाई के साधन :
फेंग शुई के नियमानुसार झाड़ू-पोंछा व अन्य सफाई के साधन दिन के समय इस्तेमाल करने के बाद छिपाकर रख देने चाहिए। दिन के समय में झाड़ू-पोंछा आदि दिखने से उस भवन की आय धीरे-धीरे कम होती जाती है। कुछ समय ऐसे भवन में रहने से दैनिक खर्चों के अधिक होने से परेशानियां बढ़ जाती है। इसलिए दिन के समय झाड़ू आदि को छिपाकर रखना चाहिए। मेरे अनुभव के अनुसार रात्रि के समय चोरों से भवन की रक्षा के लिए भवन के गेट के बाहर झाड़ू को उल्टा करके रख देना चाहिए। इसे उल्टा करके भवन के मुख्य द्वार के दाईं ओर बाहर रखें। इससे उस भवन की चोरों एवं अनचाहे लोगों से रक्षा होती है। झाड़ू को केवल रात्रि में ही बाहर उल्टा रखें। परन्तु दिन के समय उसे उठाकर कहीं छिपा दें।

फेंग शुई के नियमानुसार भवन के दक्षिण-पश्चिम कोण में लाल-पीले रंग के बल्बों की झालर लगाने से भवन के कोने-कोने में 'यांग' ऊर्जा का प्रवाह सुचारु रूप से होने लगता है। लाल रंग अग्नि तत्व का प्रतीक है जिससे जीवनदायिनी पृथ्वी तत्व की उत्पत्ति होती है। पीला रंग स्वयं पृथ्वी का रंग कहा गया है। लाल लाइटों को दक्षिण दिशा या नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में ही लगाना चाहिए तथा भूलकर भी लाल लाइटों को पश्चिम अथवा वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में नहीं लगाना चाहिए। भवन के प्रत्येक नैऋत्य कोण में लाल लाइटों की अधिकता न करें, अन्यथा अत्यधिक 'यांग' ऊर्जा शक्ति भी अशांति का कारण बन सकती है, इसलिए लाल बल्बों की एक झालर, शेड अपने आवासीय कक्ष में और एक लाल लैंटर्न अपने शयन कक्ष में लगानी चाहिए, इसलिए सामाजिक जीवन में क्रियाशील बने रहने के साथ रोमांस भी जुड़ जाये तो इसके लिए भवन के नैऋत्य कोण में लाल एवं पीले बल्बों की झालर लगाए इससे ख़ुशी दो गुनी हो जाती है।
46 . सामंजस्यता में वृद्धि के लिए :
यदि किसी व्यक्ति का काफी समय से विवाह नहीं हो रहा हो तथा काफी खोजबीन करने के बावजूद भी उसको सही जीवन साथी नहीं मिल रहा हो तब उस व्यक्ति को अपने आवासीय भवन में 'यिन' एवं 'यांग' उर्जा का संतुलन वस्तुओं के जोड़े (युगल) के माध्यम से अवश्य करना चाहिए अर्थात भवन के कक्षों में एक फोटो न रखें, इससे अकेलापन बढ़ता है। दो बत्तख, दो चिड़िया, दो मछलियां, दो हंसों का जोड़ा या एक ड्रैगन के साथ फीनिक्स आदि रखने से सामंजस्यता बढ़ती है। शयन कक्ष में एक ड्रैगन एवं एक फीनिक्स मिलकर सुख-शांति प्रदान करते हैं तथा अकेलापन दूर कर शीघ्र ही अपेक्षित जीवन साथी को मिलवाते हैं। भवन में 'यिन' एवं 'यांग' के प्रतिक चिन्ह स्त्री एवं पुरुष के प्रतिक चिन्ह होकर भवन के ऊर्जा चक्र में संतुलन बनाए रखते हैं।
47 . शयन कक्ष की उचित व्यवस्था :

नव-विवाहित युवा पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन का प्रारंभ शयन कक्ष से ही होता है। अत: फेंग शुई के नियमानुसार शयन कक्ष इस प्रकार से व्यवस्थित होने चाहिए जिससे उसमे नकारात्मक अशुभ ऊर्जा आने भी न पाए। शयन कक्ष में फूल, पौधे आदि भूलकर भी ने रखें। फल रख सकते हैं। विशेष रूप से अनार का फल, क्योंकि अनार रखना अच्छे भाग्य का प्रतीक होता है। शयन कक्ष में लाल जीरो वाट का बल्ब जलाएं, क्योंकि यह प्रेम की ज्वाला को उत्प्रेरित करता है और संतानोत्पत्ति में सहायक होता है। शयन कक्ष में डबल हैप्पीनेस सिम्बल के डिजाइन वाला फर्नीचर शुभ फलदायक होता है। शयन कक्ष में मछलीघर, जलकुंड आदि के माध्यम से जल संग्रह न करें, इससे पति-पत्नी के मध्य अविश्वास पैदा होता है और उन्हें ठीक ढंग से भरपूर निद्रा नहीं आ पाती। शयन कक्ष में बच्चों व पके हुए फलों के तस्वीरें लगानी चाहिए। झील, नदी एवं तालाब आदि जल संग्रह चित्र भूलकर भी न लगाएं। वैवाहिक जीवन के आरम्भिक चार-पांच वर्ष तक शयन कक्ष में लाल-गुलाबी रंगों की अधिकता रखें। इससे 'यांग' ऊर्जा का प्रवाह सुचारु रूप से रहेगा। शयन कक्ष में नीले रंग की चादरें न बिछाकर सफेद रंग की चादर बिछाएं। इससे पति-पत्नी में दाम्पत्य प्रेम बना रहता है।
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