68 . मुख्य द्वार का महत्व :

फेंग के अनुसार मुख्य द्वार के भीतर-बाहर किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं होना चाहिए। मुख्य द्वार के पास किसी भी प्रकार का अवरोध व्यक्ति के सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदल सकता है। मुख्य द्वार मकान के सबसे बड़े एवं रोशनी युक्त कमरे, प्रवेश हाल अर्थात गलियारे में खुलना चाहिए। उसके सामने जूता रखने का डिब्बा या अन्य कोई अवरोधक नहीं होना चाहिए। मुख्य द्वार के पास बेकार वस्तुयें भी नहीं होनी चाहिए। भवन के मुख्य द्वार के सामने भवन या खम्भा होना भी एक तरह से अवरोध है। अत: दरवाजे को सही स्थान पर खिसकाकर इसे तुरंत सुधारना चाहिए। मुख्य द्वार भवन के दर्पण अर्थात प्रतिबिम्ब होता है, इसलिए मकान का मुख्य द्वार अवरोध रहित होना चाहिए। मुख्य द्वार व्यक्ति की समृद्धि का प्रतीक भी होता है। फेंगशुई में शुभ दिशाओं को बढ़ाने के लिए तथा अशुभ दिशाओं में कोणों को कम करने के लिए दर्पण का प्रयोग किया जाता है। शुभ दिशाओं में भीतर की और देखता हुआ दर्पण कोण को बढ़ाता है, जबकि अशुभ दिशा में बाहर की और देखता हुआ दर्पण लगाना शुभ रहता है। उचित स्थान पर लगा दर्पण काल्पनिक चित्र को बढाकर लाभदायक 'ची' ऊर्जा को पैदा करता है, जिससे लाभ होने लगता है। उत्तर की दीवार के दर्पण के पीछे पेन्ट, क्रीम, हरा अथवा नीला रंग रखे तभी लाभ हो सकता है। अत: यहां हल्का दर्पण लगाना चाहिए। उत्तर दिशा में गोल दर्पण लगाने से धन एवं स्वास्थ्य की हानि होती है।
69 . घंटियों से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि :
फेंग शुई के अनुसार अपने को मधुर लगने वाली घंटी को लगाना चाहिए, क्योंकि भद्दी एवं तेज आवाज वाली घंटी से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन होती है। वैसे तो घर में तिब्बती घंटी भी लगानी चाहिए, क्योंकि तिब्बती घंटी को लगाने से भवन में शक्तिशाली ऊर्जा 'ची' की वृद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का स्तर भी भवन में बढ़ता है।
70 . निराश प्रेमियों के लिए फेंग शुई उपचार :

यदि कोई निराश प्रेमी हो तथा किसी भी लड़की ने उसे पसंद न किया हो अथवा वह प्रेम के प्रति उदासीन हो और उसके जीवन में उत्साह एवं उमंग का आभाव हो, तो ऐसे व्यक्ति का उपचार फेंग शुई के द्वारा हो सकता है। इसके लिए शयन कक्ष की दक्षिणी-पश्चिमी दीवार को लाल चमकीले रंगो से पोत दे अथवा अधिक गहरा चटक लाल रंग का पेपर चिपका दें। इससे उस भवन के वातावरण में शक्तिशाली 'यांग' ऊर्जा उत्पन्न होकर उस क्षेत्र की 'ची' ऊर्जा की अग्नि को प्रज्वलित कर देती है, साथ ही साथ उस व्यक्ति के अंदर भी कामाग्नि रूपी प्रेम भड़क उठता है, क्योंकि लाल रंग में शक्तिशाली 'ची' ऊर्जा होती है। इसे दक्षिण-पश्चिम में सही ढंग से उचित स्थान पर लगाया जाए तो यह प्रेम एवं रोमांस की 'ची' ऊर्जा की तीव्रता को सक्रीय कर देता है। जिससे प्रेम के प्रति उदासीन रहना वाला व्यक्ति का दिल भी फड़कने लगता है। लाल रंग को सदैव ठीक स्थान पर लगाना चाहिए, क्योंकि यह रंग सही समय पर निश्चित ही अपना कार्य ठीक प्रकार से करता है, परन्तु इसकी अधिकता भी खतरनाक होती है। मेरे अनुभव के अनुसार लाल रंग की अधिकता से व्यक्ति प्रेम के मामले में अधिक उग्र एवं हिंसक हो जाता है। लाल रंग का उद्देशय पूरा होने के बाद उस कोने को पुन: पहले वाले रंग में पोत देना चाहिए।
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