Wednesday, 7 February 2018

फेंग शुई के अनुपम सूत्र (64-67)

64 . भाग्यवर्द्धक शुभ चिन्ह :
फेंग शुई के नियमानुसार भवनवास में सुख शांति, प्रेम एवं सामंजस्य के लिए अनेक प्रकार के भाग्यवर्द्धक शुभ चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।  इनमे डबल हैप्पीनेस सिम्बल, ड्रैगन, फीनिक्स, अंतहीन गांठ, बत्तख आदि प्रमुख है। भवन में अत्यधिक खुशियां के लिए डबल हैप्पीनेस सिम्बल को शादी के कार्ड, जन्मदिन कार्ड, नववर्ष के कार्ड, त्योहारों के कार्ड आदि पर छपवाना चाहिए तथा अपने मित्रों में वितरित करना चाहिए। फीनिक्स एवं ड्रैगन आदि के चित्रों को पेंटिंग के रूप में चादर, परदे एवं परिधानों पर सजाने से खुशियों में वृद्धि होती है। अंतहीन गांठ के चिन्ह को फर्नीचर अादि पर, दरवाजों-ग्रिल पर बनाएं, ये सभी शुभ प्रतिक चिन्ह गृह-नक्षत्र आदि के प्रतिकूल प्रभाव को काम करने में सहायक होते है। यदि इनके साथ-साथ जन्म कुंडली के गृह-नक्षत्र अनुकूल हों तो उस व्यक्ति की शीघ्र उन्नति होती है। मेरे अनुभव के अनुसार अनंत प्रेम लिए अंतहीन गांठ को भवन के नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) कोण में सजाकर रखने से पति-पत्नी के दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होती है। यह भाग्यशाली गांठ एक चिन्ह के रूप में बहुत लोकप्रिय है। इस चिन्ह ताबीज एवं सिक्कों के साथ भी दिया जाता है तथा कपड़ो, फर्नीचर, कार्पेट, चीनी मिट्टी के बर्तनों आदि पर अंकित किया जाता है। अंतहीन गांठ दीर्घायु एवं अनंत सहचर की प्रतिक मानी गई है। यह गांठ अच्छे स्वास्थ्य की भी प्रतीक होती है। इसे अधिकांशत: अमिट प्रेम के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। विशेष रूप से पति-पत्नी के प्रेम के रूप में एक-दूसरे के लिए उनके मन में अनंत एवं अमिट प्रेम होता है, क्योंकि विवाह के बाद ही पति-पत्नी नैतिक दायरे में बंधकर एक-दूसरे के हो जाते है। अंत: अंतहीन गांठ दोनों पति-पत्नी के लिए आदर्श चिन्ह होती है। इसी कारण से इस अंतहीन गांठ के चिन्ह पर्दों, चादरों, परिधानों, फर्नीचर, दरवाजों, खिड़कियों आदि पर प्रचुरता से अंकित किया जाता है। 
    
65 . दाम्पत्य जीवन में अवरोध से बचने के लिए :
भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी का दाम्पत्य बंधन जीवन-भर का बंधन होता है। हिन्दू संस्कृति में इसे सात जन्मों तक के बंधनों की संज्ञा दी गई है। अत: फेंग शुई का उपयोग कर इस दाम्पत्य जीवन के बंधन को सदैव ऊर्जा से भरपूर एवं शाश्वत बना सकते है। अत: दाम्पत्य जीवन में प्रेम का प्रवाह सतत् बनाए रखने के लिए घर में पति के साथ सदैव शिकायत का रोना लेकर नहीं बैठना चाहिए। इससे भवन में हानिकारक (नकारात्मक-अशुभ) ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। भूलकर भी मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके नहीं बैठना चाहिए, मुख्य द्वार की तरफ पीठ करके सदैव नापसंद मेहमान को बैठाना चाहिए। कभी भी डबल बेड पर दो गद्दे बिछाकर नहीं सोना चाहिए। ये दो गद्दे मिलकर प्रतीकात्मक अलगाव उत्पन्न करते है जिसके कारण दाम्पत्य तनाव, कलह, मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। 
  
66 . धन वृद्धि व भवन में सम्पन्नता के लिए :
भावनावास में धन की बचत के लिए तीन टांग का मेढक की प्रतिमा को मुख्य द्वार की ओर पीठ करके रख देना चाहिए। रसोई कक्ष में दवाइयां न रखने से व्यक्ति सदा स्वस्थ बना रहता है। भवन में सम्पन्नता एवं खुशहाली के लिए मुख्य प्रवेश द्वार के सामने हँसते हुए बुद्ध की प्रतिमा अवश्य लगनी चाहिए। वैवाहिक भाग्य की वृद्धि के लिए शयन कक्ष में दक्षिण-पश्चिम कोने में मैंडेरिन बत्तख के एक जोड़े को गुलाबी क्वार्ट्ज के अंगूरों के साथ रख दे।



67 . मुख्य द्वार या खिड़की के सम्मुख पेड़ होने पर :
फेंग शुई के अनुसार यदि भवन के मुख्य द्वार अथवा खिड़की के सामने कोई पेड़ हो तब बाहरी दीवार पर पेड़ की तरफ अभिमुख करके एक उत्तल लैंस लगा देने से उस भवन में रहने वाले सभी सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहने लगता है। 


  • यदि कोई नया भवन खरीदना हो तब उस नविन भवन में किसी भी नवजात कन्या को ले जाएं। यदि वह कन्या भवन में प्रवेश करते ही मुस्कराने लगे तो समझें कि वह भवन रहने के लिए शुभ है। यदि वह कन्या भवन में प्रवेश करते समय रोने लगे तो समझे की वह भवन नकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है। फिर ऐसे भवन में नहीं रहना चाहिए।

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