फेंग शुई के अनुसार 'ची' ऊर्जा की चुम्बकीय शक्ति को आकर्षित करने वाली 'यिन' और 'यांग' ऊर्जा शक्ति है। प्राचीन मनोविज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार पूरा ब्रह्मांड निरंतर निर्बाध गति से चलता रहता है। ब्रह्मांड का प्राचीन प्रतीक यही दर्शाता है।
जिस तरह मौसम गर्म या ठंडा होता है उसी तरह 'ची' ऊर्जा शक्ति जो वातावरण और घर में प्रवाहित होती है, उसे फेंग शुई के अनुसार यिन ऊर्जा और यांग ऊर्जा कहा जाता है। एक पूरी चुम्बकीय शक्ति यद्धपि पूरी तरह यिन या यांग नहीं हो सकती। एक में हमेशा थोड़ा सा भाग रहता है।

यिन और यांग की आकृति एक वृत के भीतर टैडपोल जैसे होती है।पहली अपने मध्य में श्वेत स्थान वाली काली आकृति जो यिन ऊर्जा शक्ति का प्रतिनिधित्व कराती है, जबकि यांग ऊर्जा शक्ति श्वेत टैडपोल की आकृति होती है, जिसके मध्य में काला बिंदु होता है।

यिन और यांग की आकृति एक वृत के भीतर टैडपोल जैसे होती है।पहली अपने मध्य में श्वेत स्थान वाली काली आकृति जो यिन ऊर्जा शक्ति का प्रतिनिधित्व कराती है, जबकि यांग ऊर्जा शक्ति श्वेत टैडपोल की आकृति होती है, जिसके मध्य में काला बिंदु होता है।
श्वेत के बीच काला बिंदु तथा काला के बीच श्वेत बिंदु इस तथ्य के संकेत होते है कि दोनों का एक-दूसरे के बिना कोई अस्तित्व नहीं है अर्थात ये दोनों एक-दूसरे के पूरक है। यिन के बिना यांग एवं यांग के बिना यिन नहीं हो सकती। इस प्रकार यह पूरा-का-पूरा चिन्ह ब्रह्मांड में एक तरह का संतुलन बनाता है चाहे उसमे यांग शक्ति ज्यादा हो या यिन ऊर्जा शक्ति।
उदहारण के तौर पर रात्रि के बाद सुबह होती है तथा गर्मी के बाद सर्दी पड़ती है। इसी प्रकार से मनुष्य को भी अपने जीवन में संतुलन बनाना पड़ता है।
चीन के प्राचीन विद्वानों ने यद्धपि इन दोनों को परिभाषित करने का प्रयास नहीं किया, क्योंकि वह मात्र यांग ऊर्जा अर्थात पुरुष ऊर्जा शक्ति दर्शाने के लिए विरोधाभासी चीजों की सूची बनाते थे, जिसका उदाहरण हम निम्न प्रकार से प्रस्तुत कर रहें है।

यिन यांग
स्त्री पुरुष
धरती आकाश
नीचा ऊंचा
स्वर्ग नरक
काला सफेद
ठंडा गर्म
फेंग शुई के अनुसार यिन तथा यांग से तात्पर्य किसी पहाड़ी की विपरीत दिशाओं से है जिनका वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व है। जिस प्रकार यिन छायादार उत्तरी ढलान का प्रतीक है उसी प्रकार यांग धूपदार दक्षिणी भाग का प्रतीक है।
सभी ऊपर उठे हुए स्थान जैसे पर्वत या पहाड़ियाँ यांग के प्रतीक माने जाते हैं तथा समतल स्थान यिन के प्रतीक हैं। यही कारण है कि अत्यंत समतल या यिन बाहुल स्थानों पर यांग ऊर्जा की रचना हेतु पगोड़ा बनाए जाते थे।
यिन या यांग ऊर्जा एक साथ शांत नहीं होती, अपितु वे दोनों एक-दूसरे पर अधिपत्य स्थापित करने के प्रयत्न करती रहती हैं। इसी प्रकार से बसंत ऋतु में यांग अधिक तथा यिन अल्प मात्रा में रहती है। शीत ऋतु में यिन ऊर्जा यांग ऊर्जा की तुलना में अधिक शक्तिशाली रहती है और यह चक्र अनवरत चलता रहता है, कभी रुकता नहीं है।
फेंग शुई का मुख्य उद्देश्य इन असुंतलनो को संतुलित करना है जिससे वह व्यक्ति जब चाहे अपना कर्म कर सके और जब चाहे आराम कर सके। यह मात्र यिन ऊर्जा और यांग ऊर्जा में संतुलन बनाकर ही किया जा सकता है जिसके परिणाम पारिवारिक जीवन तथा व्यापर में काफी फलदायक सिद्ध हुए है। इन दोनों के संतुलन से पारिवारिक तथा व्यापारिक जीवन में उस व्यक्ति को अधिक-से-अधिक आनंद व सुख प्राप्त होता है।
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