Monday, 15 January 2018

फेंग शुई में वातावरण की प्रमुख भूमिका


फेंग शुई के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में प्रवाहित 'ची' का वातावरण में 'ची' ऊर्जा शक्ति से काफी घनिष्ठ संबंध होता है। यह संबंध भी दो प्रकार से कार्य करता है, जिसका ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को होना अत्यंत आवश्यक है। दोनों के ज्ञान से ही व्यक्ति फेंग शुई के सिद्धांतो से अच्छे परिणाम या लाभ प्राप्त कर सकता है।

व्यक्ति के घर और उसके आसपास के वातावरण से उसकी जिंदगी और अनुभवों का पता लगाया सकता है। प्रयोग के तौर पर अपने घर के आसपास के वातावरण को देखकर इस बात की कल्पना कीजिए कि वह घर आपका न होकर किसी अज्ञात व्यक्ति का घर है। उसकी स्थिति और वातावरण से उस घर में रहने वाले व्यक्ति के जीवन के विषय में अनुमान लगाने की कोशिश कीजिए। क्या जिस जीवन के विषय में आप सोचते हैं, वह एक व्यवस्थित, शांत, संतुलित और संतोष भरा जीवन है या फिर अव्यवस्थित, कलहों से भरा असंतुलित जीवन है? क्या आपका यह प्रयोग व निरीक्षण उस सच्चाई का रूप है, जिससे आप स्वयं परिचित हैं।

उपर्युक्त सभी बातों से यह स्पष्ट होता है कि आसपास का वातावरण अथवा घर का वातावरण व्यक्ति के जीवन को प्रेरित करता है जिससे वह व्यक्ति उस क्षेत्र पर आसानी से ध्यान दे सकेगा, जहां पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। इस आपके अपने आवास के उन क्षेत्रों को प्रमुखता देने में सहायता करेगी जहाँ पर फेंग शुई के सुधारों अर्थात उपायों की शीघ्र आवश्यकता है, जिससे उस व्यक्ति के जीवन में शीघ्र सुधार हो सके।


वातावरण की प्रमुख भूमिका

यदि व्यक्ति अपने जीवन के अनुभवों की समीक्षा करे तो पता चलता है कि वातावरण भी अनेकों बार ऐसे कारण उत्पन्न कर देता है जिसकी व्यक्ति को आवश्यकता नहीं होती अथवा जो अवांछनीय होते है। यह सब 'ची' ऊर्जा शक्ति के प्रभाव के कारण होता है जो प्रत्येक व्यक्ति के अंदर प्रवाहित होती है, क्योंकि व्यक्ति के अंदर की 'ची' ऊर्जा वातावरण में प्रवाहित 'ची' ऊर्जा से संतुलन नहीं बना पाती, तब एक नई  स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति मानसिक दवाब अनुभव करता है या तनावग्रस्त होता है, तब उस व्यक्ति के भीतर प्रवाहित हो रही 'ची' ऊर्जा का संतुलन बिगड़ जाता है। इसका सबसे उत्तम उपाय प्रकृति के वातावरण के समीप जाना चाहिए अथवा सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इसके लिए अधिकतर लंबी सैर या फिर छुट्टियां लेकर शहर से कहीं दूर शांत एवं रमणीय जगह पर जाना चाहिए। तभी शरीर में प्रवाहित 'ची' वातावरण की 'ची' से मिलकर संतुलित अवस्था में पहुँच कर व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाएगी और फिर वातावरण  की 'ची' व्यक्ति के जीवन में एक नई स्फूर्ति पैदा करेगी।

इसी प्रकार कोई व्यक्ति आलस्य एवं शक्तिहीन अनुभव कर रहा है (जो कि यिन के अत्यधिक होने के कारण है) तो उसे यांग ऊर्जा से भरपूर वातावरण में चले जाना चाहिए अर्थात वह व्यक्ति किसी पार्टी, सिनेमाघर या नाट्यशाला में चला जाए। इस तरह के वातावरण  व्यक्ति के कारण को प्रेरित करते है और व्यक्ति में रहने वाली 'ची' ऊर्जा को उत्तेजित करते रहते है जिससे उसमें फिर से शक्ति का संचार हो जाता है।

जिन लोगों ने फेंग शुई  की कला का प्रथम बार प्रयोग किया, वे इस बात से आश्चर्यचकित थे कि इस संसार में फेंग शुई सामान्य कला है जिसका प्रयोग आवास के वातावरण (कमरों की सजावट) में परिवर्तन लाने की द्रष्टि से करने पर उनके जीवन में अत्यधिक परिवर्तन होता है। वैसे अधिकांश व्यक्ति 'ची' शक्ति का प्रभाव देखे बिना इसे उपयोग में नहीं लाना चाहते थे, क्योंकि उन्हें इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण चाहिए था कि ऐसी कोई शक्ति मनुष्य के शरीर में प्रवाहित हो रही है।

फेंग शुई का मूल सिद्धांत यही है कि छोटे से छोटा परिवर्तन व्यक्ति के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है। यहाँ तक कि उसका पूरा जीवन बदल सकता है। यह कोई अंधविश्वास या कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है, अपितु यथार्थ में कोई भी व्यक्ति अपने आसपास की शक्ति अथवा वातावरण में परिवर्तन करके अपना जीवन बदल सकता है। वह उस शक्ति को भी बदल सकता है जो प्रत्येक व्यक्ति के भीतर होती है।
व्यक्ति का सुख वैसे तो प्राय: छोटी-छोटी बातों से ही प्राप्त होता है, जैसे कि --- एक सुखद हृदय, बिस्तर में आलस्य भरी सुबह, नींद से बोझिल पलकों में रात के सुनहरे सपने, सैर सपाट या फिर घनिष्ठ मित्रों के साथ बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ गप्प मारने या हंसी ठिठोली करने का सुख किसी बड़े पुरस्कार पाने से भी अधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि जब व्यक्ति सुखी होता है तक वह अपनी  भावनाओं का विश्लेषण नहीं करता, अपितु उसे भोगता भी है। उसका जीवन में उपयोग करता है।

फेंग शुई के अनगिनत लाभ है। यह व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सामान्य व प्रभावात्मक तरीके से सुधार लाने में सहायता करती है।
   



    

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