Thursday, 18 January 2018

सफल जीवन में फेंग शुई का महत्व

चीनी वास्तु शास्त्र के ग्रंथो में सफल जीवन के आधारभूत पांच सिद्धांतो का उल्लेख मिलता है - 'प्रथम नियति, फिर भाग्य, तृतीय फेंगशुई, चतुर्थ परोपकार और पंचम शिक्षा।
  • कष्टों व मुसीबतों का निर्धारण व्यक्ति के जन्मकुंडली से होता है जो स्पष्ट रूप से उसकी दुर्बलता, शक्ति व संभावनाओं को स्पष्ट करती है। जैसे कि कुछ बालकों को आमिर माता-पिता के घर जन्म लेने के बाद भी उच्च जन्मकुंडली के बिना कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं होती, जबकि उन्हें हर संभव सहायताएं और स्वर्ण अवसर प्राप्त होते है, किन्तु इसके विपरीत कुछ बालक सामान्य घरों में पैदा होते है, जहाँ न तो उत्तम भोजन मिलता है और न ही उच्च शिक्षा नसीब होती है फिर भी वे अपनी जन्मकुंडली के शक्तिशाली होने पर सभी बाधाओं व रुकावटों को पार करते हुये अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते है। 

  • इसके बाद भाग्य आता है। भाग्य के संबंध में चीनी विद्वानों के अनुसार भाग्य को बदला जा सकता है, उसे सुधारा जा सकता है तथा व्यक्ति के अनुकूल बनाया जा सकता है और इसके लिए शेष चार सिद्धांतो पर बल देना आवश्यक है। भाग्य पर सकारात्मक विचारधारा का भी पूर्ण प्रभाव पड़ता है। यदि व्यक्ति उत्तम विचारों का प्रयोग करे तथा अच्छी बातों की कल्पना करे तो वे बातें व्यक्ति के जीवन में अवश्य घटित होती है, लेकिन इसके विपरीत यदि व्यक्ति नकारात्मक व भय युक्त विचारों को ही सोचेगा तो अशुभ ही घटित होगा, क्योंकि उनकी विचारधारा तो उन्हें आकर्षित करती है । 
  • तीसरे नंबर पर फेंग शुई आता है। फेंग शुई के सिद्धांतो का पालन करते हुए व्यक्ति शेष संसार के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकता है। 


  • चौथा परोपकार का स्थान है। अत: प्रत्येक व्यक्ति को बिना फल की इच्छा किए ही अपना कर्म करना चाहिए। व्यक्ति यदि दूसरे के बारे में अच्छे विचार रखेगा, उनके परोपकार की बात सोचेगा तो देर-सवेर उसका पुरस्कार भी उस व्यक्ति को अच्छा ही मिलेगा। उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति किसी के मन को दुख पहुंचाता है, उसे कष्ट देता है तो एक न एक दिन उसे भी इसका फल भोगना पड़ता है। 

  • अंत में आती है शिक्षा, जिसका कोई अंत नहीं है। कोई थाह नहीं है। यह तो जीवन भर प्राप्त करने योग्य है। व्यक्ति बूढ़ा होने के बाद भी इसका पार नहीं पा सकता, शिक्षा तो जीवन भर चलने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके कारण वह अपने आसपास घटित होने वाली घटनाओं की जानकारिओं प्राप्त करता है।

यूं तो अनेक रूपों में यह पांच सिद्धांत सुख के मूल मन्त्र माने जाते है। यदि व्यक्ति अधिक-से-अधिक सही दिशा में अपनी शक्ति का उपयोग केर, सकारात्मक रवैया अपनाए, सभी के साथ सामंजस्य रखे, लोगों की सहायता करे तथा अध्ययन भी करता रहे तो कोई ऐसा कारण नहीं जो जीवन का सुख प्राप्त न कर सके।

इसी सम्बन्ध में चीनी विशेषज्ञों के मतों के अनुसार -- सुख तो एक नदी है, चाहे वह आपको घेरे रखे लेकिन आपको तैरना आना चाहिए, कभी डूबेंगे नहीं और सुरक्षित किनारे तक पहुँच जाएंगे। इसके लिए अध्यवसाय तथा द्रढ़ संकल्प नितांत आवश्यक है। बिना परिश्रम के लाभ नहीं मिलता। यदि व्यक्ति उपर्युक्त पांचो सिद्धांतो, नियति, भाग्य, फेंगशुई, परोपकार तथा शिक्षा का द्रढ़ता से पालन करता रहे तो निश्चय ही वह सफल, संतुष्ट और सुखी होगा।

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