फेंग शुई के अनुसार सार्स अर्थात विषैले बाणों की रचना सीधी सरल रेखाओं या पायने कोणों के द्वारा होती है जो दुर्भाग्यकारक जाने जाते हैं, लेकिन इस बात से यह अर्थ नहीं निकलता कि कुछ बुरा अथवा अशुभ घटने वाला है फिर भी ये उसकी संभावनाओं के सूचक होते हैं।
वैसे सार्स को विभिन्न प्रकार से निर्मित किया जा सकता है। जैसे किसी भी व्यक्ति के घर के ठीक सामने से आती हुई कोई भी सीधी रेखा सार्स होती है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का घर अंग्रेजी वर्णमाला के टी (T) मोड़ पर हो और उसके सामने से एक सीधा रास्ता उस व्यक्ति के घर की ओर आ रहा हो तो वह निश्चित रूप से एक प्रमुख सार्स की रचना करेगा अथवा पड़ोसी के छतों की आम पंक्तियों भी सार्स की रचना करती है।
अन्य सार्स की रचना कोणों से भी होती है। यह व्यक्ति की ओर सांकेतिक विषैले बाणों की रचना करते हैं।  किसी पड़ोसी के घर का कोना यदि दूसरे व्यक्ति के घर के कोण पर है तो वह सार्स की रचना करता है। इसके अलावा आसपास के घर भी सार्स की रचना में सहायक होते हैं। जैसे किसी व्यक्ति के पड़ोस का घर उस व्यक्ति  के घर की तरफ 45 डिग्री का कोण बनाता है तो उस व्यक्ति की ओर विषैले बाण छोड़ रहा है, जैसा कि आगे चित्र में दर्शाया गया है। 

वैसे तो सभी सार्स खतरे व दुर्भाग्य के सूचक माने जाते है लकिन इनमें से सब से ज्यादा दुर्भाग्यशाली सार्स वह माना जाता है जिनका मुख सीधा घर के मुख्य द्वार की ओर होता है। 
फेंग शुई में सार्स सहित सभी नकरात्मक कारणों को दूर करने के लिए निम्न पारकर के उपाए करने चाहिए ---
- यदि सौभाग्यवश कोई विषैला बाण दिखाई नहीं देता तो उसका अस्तित्व स्वत: ही ख़त्म हो जाता है। इसके लिए दीवार या बाड़ का उपयोग करके घर की ओर आते सार्सो को नष्ट किया जा सकता है।
 - रास्ते में आड़ या पेड़ का उपयोग करके भी सार्स को नष्ट सकता है।
 
फिर भी कितने ही बार ऐसे उपायों से भी जब सार्स नष्ट नहीं होते, तो फेंग शुई के अनुसार सार्स को नष्ट किया जा सकता है। 
फेंग शुई के उपाय के अनुसार पा-कुआ दर्पण के नाम से विख्यात एक छोटा सा दर्पण सार्स को वहीँ लौटा देता है, जहां से वह आया था और इस प्रकार सार्स से व्यक्ति की रक्षा होती हो जाती है। यह पा-कुआ लकड़ी का अष्टकोण टुकड़ा होता है जिसके बिच में एक छोटा गोल शीशा अर्थात दर्पण लगा होता है। 
वैसे शीशे की निष्क्रिय करना यिन माना जाता है, लेकिन जब उसके चरों तरफ ट्रायग्राम बनाए जाते हैं तो वे आक्रामक हो जाते है अर्थात यांग बन जाते हैं।

वैसे शीशे की निष्क्रिय करना यिन माना जाता है, लेकिन जब उसके चरों तरफ ट्रायग्राम बनाए जाते हैं तो वे आक्रामक हो जाते है अर्थात यांग बन जाते हैं।
ऐसे दर्पण को जब घर के मुख्य द्वार के ऊपर लटकाया जाता है, तक यह प्रतीकात्मक रूप से सार्स को रोक कर उसको उसी के स्थान पर वापस लौटा देते हैं जहां से वह आते है।
पा-कुआ दर्पणों का उपयोग केवल घर के बाहर की ओर ही किया जाता है. ये तीन भिन्न रूपों में मिलते हैं ---
- सपाट दर्पण वाला पा-कुआ दर्पण सार्स को वापस देता है।
 - अवतल शीशे वाला पा-कुआ दर्पण हानिकारक ऊर्जाओं को अपने में समाहित कर लेता है।
 - उन्नतोदर शीशे वाला पा-कुआ दर्पण अत्यंत खतरनाक होते हैं, क्योंकि वे सार्स को भिन्न भिन्न दिशाओं में परिवर्तित कर देते हैं। इनका प्रयोग फेंग शुई के विद्वान की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।
 
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