
चीन में फेंग शुई का प्रारम्भ कब हुआ? वह कोई नहीं जानता, परंतु एक किवंदन्ती के अनुसार पांच हजार वर्ष पूर्व शिया वू तथा उनके अनेकों व्यक्ति सिंचाई के लिए खुदाई का कार्य कर रहे थे, तब पीली नदी से एक विशालकाय कछुआ प्रकट हुआ था। उन दिनों चीन में मान्यता थी की कछुए के मस्तिष्क के अंदर देवता का वास होता है, इसलिए इस कछुए का अचानक प्रकट होना अत्यधिक शुभ माना गया।
कछुए के प्रकट होने पर जब अनेक व्यक्तियों, की द्रष्टि उसकी पीठ पर पड़ी तब उसकी पीठ पर एक सम्पूर्ण चमत्कारी वर्ग बना देखकर वे सब आश्चर्यचकित हो गए, क्योकि उस कछुए के पीठ पर बने वर्ग में सांकेतिक अंक भी बने हुए थे। वे सभी अंक आड़ी-तिरछी पंक्तियों में बने हुए थे। जब उन लोगों ने उस वर्ग में बने आड़ी-तिरछी पंक्तियों के अंको का योग किया तो वह हर तरफ से पंद्रह आता था, इसलिए कछुए के ऊपर बने वर्ग को अति विशिष्ट समझा गया। इस प्रक्रिया से न केवल फेंग शुई के मूल सिद्धांत उनके मस्तिष्क में उभरे, बल्कि आई चिंग -चीनी ज्योतिष शास्त्र एवं अंक शास्त्र का भी उदय हो गया।
इस खोज के सफलता के बल पर हो आगे चलकर वो चीन का ऐतिहासिक कालीन प्रथम सम्राट बना। उदाहरण के तौर पर उस कछुए के चित्र व अंको का वर्ग कुछ इस प्रकार था -
- लो शु वर्ग के अंको का वर्ग निम्न प्रकार था -

उपर्युक्त वर्ग की खोज सबसे पहले वो ने की थी और यह सब इतने वर्षों पूर्व घटित हुआ था कि चीन मे कोई भी व्यक्ति इस कहानी की सत्यता के विषय मे कुछ कह नहीं सकता। आज भी यह घटना एक आश्चर्यजनक पहेली बनी हुई है कि वास्तव में वू हुआ भी था या नही? लेकिन फिर भी यह एक महत्वपूर्ण रोचक घटना है, जो इस बात का प्रमाण देती है फेंग शुई काफी प्राचीन विद्या है।
फेंग शुई के सिद्धांत अत्यधिक साधारण एवं रोचक हैं। चीन देश में अधिकांश व्यक्ति यह मानते है कि फेंग शुई का उदय पूर्व दिशा से हुआ था, परन्तु इसके विपरीत फेंग शुई का सम्बन्ध पूर्वी देशों की सभ्यता एवं संस्कृति से नहीं था, क्योंकि धन का आकर्षण, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य एवं सहमति की वृद्धि के लिए लाए गए परिवर्तन भी फेंग शुई में सम्मलित है।
फेंग शुई के सिद्धांत अत्यधिक साधारण एवं रोचक हैं। चीन देश में अधिकांश व्यक्ति यह मानते है कि फेंग शुई का उदय पूर्व दिशा से हुआ था, परन्तु इसके विपरीत फेंग शुई का सम्बन्ध पूर्वी देशों की सभ्यता एवं संस्कृति से नहीं था, क्योंकि धन का आकर्षण, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य एवं सहमति की वृद्धि के लिए लाए गए परिवर्तन भी फेंग शुई में सम्मलित है।
वैसे तो फेंग शुई का वास्तविक अर्थ - "जल-वायु" है और इस प्राचीन विद्या का प्रार्थमिक उद्देश्य भी व्यक्ति के जीवन और वातावरण में शक्ति का प्रवाह करना था। अनेक विद्धानो के अनुसार फेंग शुई का उदय प्रभु इसा मसीह के जन्म से 4000 वर्ष पहले हुआ, परन्तु इस विषय में कोई प्रमाणित लेख मौजूद नहीं है। कुछ विद्धानो को तो मात्र इतना ज्ञात है की यह कला क्रिश्चियन (इसाई) धर्म से भी अधिक प्राचीन है और पिछली कुछ सदियों से पश्चिमी देशो मे भी अत्यधिक प्रचलित है।
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